Thursday, January 15, 2009

कुछ पता नही चला

कब हुआ हादसा कुछ पता नही चला
दिल था या जुनून कुछ पता नही चला

मुहब्ब्त की बातें प्यार के हसीन पल
आये भी गये भी कुछ पता नही चला

शौक़ था हमें भी उनके दिल में रहने का
फिर क्यों हुये जुदा कुछ पता नही चला

भोली सूरत भोली आंखे भोला सा अंदाज़
क़त्ल कब हुआ मेरा कुछ पता नही चला

इश्क़े बादल बिन बरसे ही गुज़र गया
किसने की बेवफ़ाई कुछ पता नही चला

बदली आंखे तो बदल गया हर मौसम
क्यों बदला मेरा यार कुछ पता नही चला

कितने ही सवाल मेरी नज़रों में थे उठे
क्या था उनका जवाब कुछ पता नही चला

कुछ युं सहा हमने तीरे बेरुख़ी उनका
टपका है ख़ूने जिगर कुछ पता नही चला

कभी पागल, कभी दीवाना कहा निर्मल को
कौन था गुनाहगार कुछ पता नही चला

3 comments:

  1. कुछ पता नही चला ....बहुत सुंदर!

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  2. Bahut Khoob Nirmal Ji..

    Kya baat hai..

    likhne lage hai aaj kal,
    kavitayon ke sang vo gazal
    kab sila shuru hua
    kuch pata nahi chala??

    sneh
    shailja

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