Friday, January 14, 2011

दिल की सरगम

करूं किस पे आज यकीं बता, तेरी बात पर तेरी चाल पर
मुझे और अब न सता कि तू, मुझे छोड़ दे मेरे हाल पर

मुझे तूने सबसे जुदा किया, कहाँ लाके मुझको खड़ा किया
न ये ज़िन्दगी रही ज़िन्दगी, कभी पात पर कभी डाल पर

जो फ़िसल गया मेरे हाथ से, वही याद है मुझे आज तक
मेरे दिल की सरगम बज रही, उसी गीत पर उसी ताल पर

तुझे देखना मेरा शौक़ था, तुझे चाहना मेरी आरज़ू
यही आस अब तक है जवां,मेरे दिल के ख़वाबो-ख़्याल पर

मुझे कर अता कोई रास्ता, जुड़े प्यार से नया वास्ता
यही इल्तजा निर्मल करे, हो ख़फ़ा न मेरे सवाल पर