tag:blogger.com,1999:blog-92037849333481140492024-02-20T02:18:59.581-08:00निर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डनिर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.comBlogger146125tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-2716940735981385282013-01-25T09:08:00.000-08:002013-01-25T09:08:17.786-08:00२६ जनवरी<div style="text-align: center;">
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<br />हर बरस की तरह<br />लो फिर आ गई<br />२६ जनवरी,<br />भारत की शानो-शौकत<br />ख़ुशहाली व तरक्क़ी के<br />बिगुल बजाती<br />लो फिर आ गई<br />२६ जनवरी,</div>
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आधी सदी से भी अधिक<br />चल चुकी ये<br />उन्नति के कितने ही शिखर<br />छू चुकी ये<br />ज्ञान-विज्ञान के अनेकों<br />समन्दर तर चुकी ये<br />गीत संगीत कला के अनगिनत<br />जौहर दिखा चुकी ये,<br />विश्व रंगमंच पर दुल्हन सी सजी<br />ख़ुशियों को दर्शाती<br />लो फिर आ गई<br />२६ जनवरी,</div>
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देशभक्तों की आत्मायें<br />हैं इसमें बसीं<br />शहीदों के हॄदय की धड़कनें<br />है इसमें रचीं<br />जवानों के लहू से है इसकी<br />रंगत बनी<br />संविधान के हर शब्द से है<br />इसकी सूरत सजी,<br />आज़ादी की मोहक मधुर<br />धुन गुनगुनाती<br />लो फिर आ गई<br />२६ जनवरी,</div>
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मगर<br />इसके साये तले<br />औरत की अस्मत<br />सुरक्षित कहाँ है?<br />गर्भ से लेकर उम्र के <br />हर हिस्से तक<br />नारी का दुश्मन यहाँ है,<br />ज़रा ग़ौर से देखो अगर<br />नशों में धुत<br />देश का हर नौजवां है,<br />क्या बनेगा किसी का<br />भ्रष्ट दुराचारी नेता<br />आदमख़ोर दरिन्दे<br />अनुशासन विहीन<br />व्यवस्था जहाँ है,<br />रिश्वत के पैरों पे चल<br />व्यभिचार का पहन के मुकुट<br />बेशर्मों सी हंसती-हंसाती<br />लो फिर आ गई<br />२६ जनवरी</div>
Hindi Writers Guildhttp://www.blogger.com/profile/18101840148443375109noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-15679905236482968532012-08-19T20:20:00.001-07:002012-08-19T20:20:42.454-07:00हसरत है आख़िरी वैसे तोहसरत है आख़िरी वैसे तो हर तरफ़ देखो जलवे हज़ार हैं<br />
जो तू नहीं है पास तो सारे बेकार हैं<br />
<br />
कोई न आरज़ू मेरी तेरे बग़ैर है<br />
गुलशन में चाहे यूं तो फूल बेशुमार हैं<br />
<br />
हसरत है आख़िरी कि तेरे रूबरु हो लूं<br />
वर्ना तो ज़िन्दगी में बचे दिन ही चार हैं<br />
<br />
माना कि हम नहीं किसी रिश्ते में हैं बंधे<br />
फिर भी न जाने क्यों रहते हम बेक़रार हैं<br />
<br />
अब क्या सुनायें हाले जिगर तुझको अय दोस्त<br />
मुद्दत से उनके प्यार में हम गिरफ़्तार हैं Hindi Writers Guildhttp://www.blogger.com/profile/18101840148443375109noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-40217386146910679822012-05-15T08:00:00.002-07:002012-05-15T08:00:55.297-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
</div>
हसरत है आख़िरी
वैसे तो हर तरफ़ देखो जलवे हज़ार हैं
जो तू नहीं है पास तो सारे बेकार हैं
कोई न आरज़ू मेरी तेरे बग़ैर है
गुलशन में चाहे यूं तो फूल बेशुमार हैं
हसरत है आख़िरी कि तेरे रूबरु हो लूं
वर्ना तो ज़िन्दगी में बचे दिन ही चार हैं
माना कि हम नहीं किसी रिश्ते में हैं बंधे
फिर भी न जाने क्यों रहते हम बेक़रार हैं
अब क्या सुनायें हाले जिगर तुझको अय दोस्त
मुद्दत से उनके प्यार में हम गिरफ़्तार हैंनिर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-61265231966652674462012-05-13T07:45:00.001-07:002012-05-13T07:46:51.758-07:00Happy mother's day<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
</div>ओ मां तुझे सलाम
वो बच्चा
जो वक़्त की
हर आंधी के डर से
दुबक जाता था तेरे आंचल में,
वो बच्चा
जो बेख़ौफ़
तेरी नज़रों के साये तले
उछलता कूदता
रहता था तेरे आंगन में,
वो बच्चा
मिलता था जिसे
जन्नत का हर सुख
तेरी ममता की छांव में,
वो बच्चा
तेरी थपकियों से
नींद के झोंके ले जाते थे जिसे
सपनों के गांव में,
वो बच्चा
जिसकी दुनिया थी
तेरे पहलू में,
वो बच्चा
जिसका वजूद था तो केवल
और केवल तेरे होने में,
आज मगर
वो बच्चा
तन्हा है दुनिया के मेले में,
तुझको खोकर डूबा है वो
ग़मों के रेले में,
तुझको खोया तो उसने जाना कि
तेरा मोल क्या है,
बिन तेरे जीवन में उसके
अब तो केवल
ख़ला ही ख़ला है,
वो चाहे भी तो तुझको
अब पा नहीं सकता,
वहां से यहां तुझको
कभी ला नहीं सकता,
मगर जब कभी
सितारों की तरफ़
उसकी उठती है नज़र,
दिल में उसके
दौड़ जाती है
सुकूं की इक लहर,
कि सितारों के जहां में
मां तो अच्छी ही होगी,
कभी-कभार
ममता भरी नज़रों से
उसको भी देखती होगी,
तो सितारों के जहां में
अय मां तुझे
मिले हर सुख
हर चैन हर आराम,
ओ मां तुझे सलाम
तुझे सलाम, तुझे सलाम...निर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-85752199860346774962012-05-04T19:24:00.001-07:002012-05-04T19:24:29.274-07:00इश्क़-मुहब्बत ख़रा है पेशा
नई जगह है नया ठिकाना,
बना ही दे तू कोई फ़साना,
तेरी ही दुनिया तेरा ज़माना,
नहीं चलेगा कोई बहाना,
नया मुसाफ़िर नई हैं राहें,
नहीं कभी तू उसे गिराना,
बहुत सहे हैं ग़मों के रेले,
ग़मों से अब तू उसे बचाना,
भटक रहा है बहुत दिनों से,
नहीं अंधेरे लगे निशाना,
जिधर भी देखो सुरों के दरिया,
दे उसको भी इक नया तराना,
किसे वो चाहे किसे वो छोड़े,
न कोई अपना न ही बेगाना,
क़दम-क़दम वो यूं ही चलेगा,
गिरे कभी तो उसे उठाना,
इश्क़-मुहब्बत ख़रा है पेशा,
बिना लिये कुछ, करे दीवाना,
निर्मल भी कुछ उसी के जैसा,
उसे भी तूने होश में लाना,निर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-5069120375629202682012-03-25T12:44:00.001-07:002012-03-29T18:41:56.151-07:00ज़िन्दगी की बैटरीअय ख़ुदा<br />ज़िन्दगी रोशन<br />करने की ख़ातिर<br />तूने जो टार्च<br />मुझे बख़्शी थी,<br />उसकी बैटरी न जाने कब<br />गुनाहों की दलदल के कारण<br />सीलन से भर गई<br />ये मुझे पता ही न चला,<br />और मैं<br />बटन पे बटन दबाता रहा<br />कभी इस तरफ़ तो<br />कभी उस तरफ़<br />टार्च का रुख़ घुमाता रहा,<br />मगर<br />रोशनी की इक <br />किरन तक न फूटी,<br />ज़ि्न्दगी को जिधर से भी<br />देखने परखने की कोशिश की<br />वो अंधकार में ही डूबी मिली,<br />और सबसे बड़ी बात<br />मैम ये भी भूल गया कि<br />इस बैटरी को दोबारा चार्ज<br />करने की शक्ति तो तूने<br />मेरे अंदर ही दबा रखी है,<br />आसानी से खुलने वाली<br />परतों तले एक<br />रोशनी की बड़ी गठरी<br />छुपा रखी है,<br />मैं ये भूल गया और<br />अपनी नासमझी के कारण<br />ताउम्र मैं अंधेरे से<br />बाहर न आ सका,<br />इसलिये मुक्तिपथ जैसा<br />कभी कोई मार्ग न पा सका,<br />बैटरी तो पहले ही बैठ चुकी थी<br />अब तो बटन भी नकारा हो चुका है,<br />बटन क्या<br />टार्च का तो हर हिस्सा ही<br />गया गुज़रा हो चुका है,<br />इसलिये तू चाहे तो<br />अब अपनी अमानत छीन भी सकता है<br />अपनी दी हुई वस्तु पे हक़ है तेरा<br />जब जी चाहे इसे<br />वापस उठा सकता है,<br />कदाचित<br />तू इस टार्च को फिर से<br />रिपेयर करना चाहे<br />या शायद इसे<br />कोई और ही नया<br />रंग रूप देना चाहे,<br />ये हो भी सकता है<br />नहीं भी हो सकता है.....निर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-1056313428678546212012-03-25T11:50:00.002-07:002012-03-25T11:53:06.206-07:00आल सीजन टायरआल सीज़न टायर जैसे हम<br />घिसते रहते सड़कों पे हरदम<br /><br />चलते रहना आदत है पड़ गई<br />थकने का अब नाम न जाने हम<br /><br />सर्दी गर्मी बारिश या तूफ़ान<br />तन पे झेलें हम सारे मौसम<br /><br />चाहे जितने सुख-दुख राहों में<br />गाते रहते जीवन की सरगम<br /><br />गिनती के दिन होते टायर के<br />घबराते ना उससे फिर भी हम<br /><br />तेरे हाथ में है चाभी अपनी<br />जिधर चलाते चल ही पड़ते हम<br /><br />ड्राईवर मेरे तुम हो तो हमको<br />ना ही डर है ना ही कोई ग़म<br /><br />ज्यों-ज्यों चलते घटता है जीवन<br />बदल ही देना जब जी चाहे तुम....निर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-84757415961490289462012-01-24T16:52:00.000-08:002012-01-24T16:56:21.383-08:00अभी तक गांव मेंये सुना है, इक दिवानी है अभी तक गांव में<br />जो मुझे ही याद करती है अभी तक गांव में<br /><br />हम जहाँ मिलते रहे थे शाम के साये तले<br />वो सुहानी शाम ढलती है अभी तक गांव में<br /><br />सात सागर पार करके दूर तो हम आ गये<br />पर हमारी जान अटकी है अभी तक गांव में<br /><br />यूं बदल तो सब गया है अब वहाँ फिर भी मगर<br />इक पुराना पेड़ बाकी है अभी तक गांव में <br /><br />चैन मिलता है वहाँ आराम मिलता है वहाँ<br />हर ख़ुशी की राह मिलती है अभी तक गांव में<br /><br />ज़िन्दगी रफ़्तार से चलने लगी है हर तरफ़<br />फिर भी देखो आस बसती है अभी तक गांव में<br /><br />बिन हमारे शायरी ग़मगीन है रहने लगी<br />याद अपनी सबको आती है अभी तक गांव में<br /><br />वो बिचारा तो जहां की भीड़ में है खो गया<br />कोई निर्मल को बुलाती है अभी तक गांव मेंनिर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-2216939413096767092011-12-30T17:18:00.000-08:002011-12-30T17:36:16.962-08:00नया सालनव-वर्ष की शुभकामनाओं के साथ<br /><br />साल इक बार फिर से नया हो चला<br />बाग़ हर ज़िन्दगी का हरा हो चला<br /><br />था भला या बुरा जो गया है गुज़र<br />फिर दोबारा नये का नशा हो चला<br /><br />हर कोई हर किसी से गले मिल रहा<br />सिलसिला अब ख़ुशी का घना हो चला<br /><br />तुम जिसे कह रहे थे दुखों का नगर<br />हर गली में ख़ुशी का पता हो चला<br /><br />फूल हम दे रहे हैं बधाई के तुझे<br />जान लो साले नौ अब खरा हो चला<br /><br /><br />एक बार फिर सबको नये साल की बधाई हो...निर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-74988420052372393592011-12-23T18:47:00.000-08:002011-12-23T19:07:48.007-08:00शक्तियों शक्ति दोदिक्कतों से जूझता<br />तम है गहरा<br />कुछ न सूझता,<br />विश्व रंगहीन हो गया<br />कौन अब <br />किसी को पूछता,<br />इस कठिन काल में<br />कोई एक युक्ति दो<br />शक्तियों शक्ति दो<br />शक्ति दो,<br /><br />विश्वास चरमरा रहा<br />हौसला भी डगमगा रहा,<br />बस रहा था मन में जो<br />दूर हमसे क्यों वो जा रहा,<br />हृदय से भावनायें मेट कर<br />मुक्ति दो<br />शक्तियों शक्ति दो<br />शक्ति दो<br /><br />हर तरफ़<br />नियम का ही जाल है<br />ज़िन्दगी सवाल पर<br />सवाल है,<br />यदि प्रेम से जीये चलो तो<br />बस कमाल ही <br />कमाल है,<br />प्रेम ही रचा हो जिसमें<br />ऎसी एक पंक्ति दो<br />शक्तियों शक्ति दो<br />शक्ति दो...निर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-6479006036203298262011-12-07T18:43:00.000-08:002011-12-07T19:06:31.674-08:00देर न कर फ़ैसला करअच्छा-बुरा, उचित-अनुचित<br />न्याय-अन्याय, पाप-पुन्य<br />सत्य-असत्य, दण्ड या माफ़ी<br />ये सब तू जाने<br />मैं तो केवल जानूं<br />उमड़ती भावनायें, उड़ती अभिलाषायें<br />घुटती तमन्नायें, सुलगती चिन्गारियां<br />मचलती किलकारियां,<br />मैं तो केवल जानूं<br />सुख-दुख, मिलना-बिछड़ना<br />रिश्ते-नाते, जोड़-घटाव<br />उतार-चढ़ाव, दोस्ती-दुश्मनी<br />जीवन-मृत्यु,<br />मगर हाँ,<br />मैं ये भी जानूं कि<br />नीयति की डोर<br />तेरे हाथ है<br />निर्णय की चाभी<br />तेरे पास है,<br />तो देर न कर<br />फ़ैसला कर,<br />आसामी है हाज़िर<br />रहने दे इसी जेल में<br />या<br />निकाल दे बाहिर<br />देर न कर<br />फ़ैसला कर<br />फ़ैसला कर...निर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-20410284025533048812011-12-04T16:18:00.000-08:002011-12-04T16:21:05.683-08:00लीला दिखाया न करहर घड़ी तू मुझे आजमाया न कर<br />मैं तो इन्सान हूँ ये भूल जाया न कर<br /><br />साथ देने का वादा किया तूने तो<br />राह में ही मुझे छोड़ जाया न कर<br /><br />ढूँढता मैं तुझे हर जगह हर गली<br />दे ज़रा सी झलक छुप तो जाया न कर<br /><br />चल रहा मैं अकेला बहुत देर से<br />साथ दे दे ज़रा यूं सताया न कर<br /><br />बेख़बर था बहुत मैं किसी दौर में<br />याद उस दौर की अब दिलाया न कर<br /><br />ज़िन्दगी चीज़ है बेरहम आजकल<br />सपनों से और इसको लुभाया न कर<br /><br />जब तेरी मौज में डूबता मैं कभी<br />उस ख़ुशी से मुझे दूर लाया न कर<br /><br />पास भी तुम नहीं दूर भी तुम नहीं<br />ऐसी निर्मल को लीला दिखाया न करनिर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-13918827808887124032011-11-28T18:22:00.000-08:002011-11-28T18:41:12.759-08:00दिले-गुलशन सजा लेतेमेरी दुनिया में आ जाते नई दुनिया बना लेते<br />अगर तुम साथ होते तो ज़माने को झुका लेते<br /><br />हवा का रुख़ बदल जाता समय की धार थम जाती<br />मुहब्बत से सितारों को ज़मीं पे हम बुला लेते<br /><br />ख़ुशी की बात होती या ग़मों की दास्तां होती<br />ज़रा तुमसे सुना करते ज़रा अपनी सुना लेते<br /><br />कभी ख़ामोश हो लेते कभी हम गुनगुना लेते<br />कभी मदहोश होकर हम तुझे तुमसे चुरा लेते<br /><br />दीवाने हम हुये रहते दीवारों पर लिखा करते<br />कभी जो रूठ जाते तुम तभी तुमको मना लेते<br /><br />जो सपनों से उतर कर तुम हक़ीक़त में चले आते<br />तो फिर हम भी मुहब्बत से दिले-गुलशन सजा लेतेनिर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-17699753742866690332011-11-25T18:57:00.000-08:002011-11-25T19:19:00.485-08:00ख़ुशियाँबड़ी मुश्किल से मिलती हैं ज़माने में कभी खुशियाँ<br />सम्हालो प्यार से इनको ख़ुदा से जो मिली ख़ुशियाँ<br /><br />कभी तो चाँद बन के ईद का उतरी तेरे आँगन<br />दिया बन के दिवाली का कभी घर में सजी ख़ुशियाँ<br /><br />ये माना कि ज़माने को ग़मों ने घेर रक्खा है<br />ज़रा घेरे से निकलो तो दिखे दर पे खड़ी खुशियाँ<br /><br />जो मिल-जुल के रहें हम-सब यहाँ इस दौर में अपने<br />तो ये जानो कि हम-सब की संवारे ज़िन्दगी ख़ुशियाँ<br /><br />कभी सावन चला आता कभी पतझड़ नज़र आता<br />जो देखोगे तो हर मौसम के पीछे हैं छुपी ख़ुशियाँ<br /><br />न शिकवे हों, शिकायत हो किसी से तुमको अब निर्मल<br />जो तुम अपने में झांकोगे नज़र तब आयेंगी ख़ुशीयाँनिर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-61527668136922248022011-11-15T18:42:00.000-08:002011-11-15T18:58:30.511-08:00ख़ुदा ही हरदमख़ुदा ही हरदम <br /><br />मैं चल पड़ा अब तेरे सहारे<br />पड़ा था कबसे कहीं किनारे<br /><br />कहीं न हरकत कहीं न हलचल<br />जमे हुये थे क़दम हमारे<br /><br />बन्द घड़ी हो गया था जीवन<br />सुने न कोई किसे पुकारे<br /><br />कभी मुझे कुछ नज़र न आया<br />दिखे जो तुम तो दिखे नज़ारे<br /><br />कहीं न जाने देना है तुझको<br />बने हो अब तो सनम हमारे<br /><br />तेरी तमन्ना तेरी इबादत<br />यही मुक़द्दर करे इशारे<br /><br />खुदा ही हरदम ख़ुदा ही हरपल<br />संग हमारे संग तुम्हारेनिर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-65194197778194257312011-11-14T19:04:00.000-08:002011-11-14T19:25:54.749-08:00वक्त की तलवारवक्त की<br />दोधारी तलवार तले<br />मन का परकटा पंछी<br />दम तोड़ने को है,<br />ज्यों<br />मांस का एक<br />बेजान लोथड़ा<br />तराजू पे निरीह पड़ा<br />बिकने को है,<br />यहाँ<br />हर किसी ने<br />देखी है शक़्ल<br />हर किसी ने<br />आँकी है अक़्ल,<br />शायद ही कोई<br />उतर पाया हो<br />मन के भीतर<br />शायद ही किसी को<br />भाया हो<br />ये प्यारा नगर,<br />यूं तो<br />आसान भी नहीं होती<br />दिल की इबारत<br />वही पढ़ पाता है इसे<br />जिसपे हो कोई इनायत,<br />मगर अब तो<br />वही क़िस्सा वही बात<br />दोहराने को है<br />सफ़र हो चला तमाम सब<br />गाड़ी का पहिया अब<br />थम जाने को है...निर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-60929966086055837442011-11-08T13:56:00.000-08:002011-11-08T14:11:25.093-08:00ये हो नहीं सकताजुदा तुमसे रहूँ मैं इक घड़ी ये हो नहीं सकता<br />अगर ऐसा हुआ तो फिर कभी मैं सो नहीं सकता<br /><br />न जाने किस दुआ बदले ख़ुदा ने तुझको भेजा है<br />मुझे लगता जो देखे ख़्वाब थे उनका नतीजा है<br />क़सम तेरी किसी कीमत तुझे अब खो नहीं सकता<br /><br />ज़रा सा दूर भी जाओ तो मेरा दिल धड़कता है<br />रहो नज़दीक मेरे हर घड़ी हर पल ये कहता है<br />कभी मैं सोचता भी वो नहीं, जो हो नहीं सकता<br /><br />मुहब्बत एक ख़ुशबू है कभी जो मिट नहीं सकती<br />जवां रहती ये सदियों तक दिलों से हट नहीं सकती<br />मुहब्बत के बराबर तो कोई भी हो नहीं सकता<br />जुदा तुमसे रहूँ मैं इक घड़ी ये हो नहीं सकता.....निर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-48465885313074429712011-11-05T17:44:00.000-07:002011-11-05T18:09:30.285-07:00बन खिलौनाबन खिलौना <br />इस हाथ से उस हाथ<br />मैं बिकती रही<br />चाहत से ममता<br />के बीच ज़िन्दगी<br />मेरी बंटती रही,<br /><br />प्रेम-बीज<br />रोपने की कोशिश में<br />हाथ छिल गये,<br />मन को<br />संभालने की आरज़ू में<br />रिश्ते हिल गये,<br />क़दम-क़दम और<br />घड़ी-घड़ी ख़ुशी मेरी<br />लुटती रही,<br /><br />हौसला कर<br />कभी कुछ करने की<br />मैने जो ठानी,<br />बेड़ियां पैरों की<br />तभी बोलीं<br />मत कर नादानी,<br />मौसम से मौसम<br />जनम से जनम<br />यूं ही मैं<br />मिटती रही,<br /><br />जिसने जैसा चाहा<br />वैसा ही<br />नचाया है मुझको,<br />नाम किसका लूं<br />यहाँ हर किसीने<br />सताया है मुझको,<br />नस-नस में मेरी<br />सर्वदा चिंगारी एक<br />घुटती रही,<br />बन खिलौना<br />इस हाथ से उस हाथ मैं<br />बिकती रही...निर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-76842983977207335062011-10-30T19:34:00.000-07:002011-10-30T19:36:34.093-07:00ज़िन्दगी में कभी रोते को हंसा कर देखोज़िन्दगी में कभी रोते को हंसा कर देखो<br />अपने रूठे हुये दोस्त को मना कर देखो<br /><br />फ़लसफ़ा सब ये समझ में आ जायेगा तेरे<br />इक मुहब्बत का दीया दिल में जगा कर देखो<br /><br />इन असूलों ने तो बर्बाद किया कितनों को<br />है मज़ा तब, कभी गिरतों को उठा कर देखो<br /><br />किस क़दर फैल गया है ये जुनूने मजहब<br />अपने चारो तरफ़ नज़रें तो उठा कर देखो<br /><br />दूर हो जायेंगे सब फ़ासले जो तुम चाहो<br />ज़िन्दगी गीत है उल्फ़त का इसे गा कर देखो<br /><br />कोई कितना भी हो संगदिल वो पिघल जाता है<br />बस ज़रा आँख से तुम आँख मिला कर देखो<br /><br />कौन कहता है ख़ुदा दूर बहुत है तुमसे<br />पास है तेरे वो आवाज़ लगा कर देखो<br /><br />हर तमन्ना तेरी हो जायेगी पूरी निर्मल<br />घर फ़कीरों के कभी तुम ज़रा जाकर देखोनिर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-80959323868021245502011-10-28T19:20:00.000-07:002011-10-28T19:38:32.065-07:00तू सुन मेरा शिकवा गिलाकुछ नहीं सूझे ख़ुदा, तू सुन मेरा शिकवा गिला<br />कब तलक चलता रहेगा इन ग़मों का सिलसिला<br /><br />ज़िन्दगी थक हार कर ख़ामोश है रहने लगी<br />सांस जाने क्यों चले, ये क्यों न रुकता क़ाफ़िला<br /><br />धर पकड़ होती रही पर हाथ ना आया कभी<br />मन का पंछी भी ग़ज़ब है जब मिला उड़ता मिला<br /><br />खुल के हंसने की तमन्ना दिल में घुटती ही रही<br />पर ज़माना मुझपे हरदम मुस्कुराता ही मिला<br /><br />सांप चलते ही मिले हैं आस्तीनों में यहाँ<br />ख़ूब यारों ने दिया है इन वफ़ाओं का सिला<br /><br />क्या है खोया, क्या है पाया ये समझ ना आ सका<br />पर जो निकला ज़िन्दगी से वो गया है दिल हिला<br /><br />ना ही बरसा कोई मौसम छत पे निर्मल की कभी<br />ना ही चमका कोई तारा ना ही कोई गुल खिलानिर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-88699213636495448892011-10-23T19:37:00.000-07:002011-10-23T19:40:32.872-07:00हो मुबारक सबको दिन दीवाली काआज ख़ुशियां लेके आया दिन दिवाली का<br />प्यार का संदेश लाया दिन दीवाली का<br /><br />हो मुबारक आप सबको ये सुहाना दिन<br />है बहुत ही जगमगाया दिन दीवाली का<br /><br />दीप जलते हर गली हर मोड़ पे अपने<br />हर नज़र में है समाया दिन दीवाली का<br /><br />चमचमाती रोशनी ने वो समा बांधा<br />हर ज़ुबां ने गुनगुनाया दिन दीवाली का<br /><br />भूल कर सबसे अदावत दोस्ती पालो<br />है यही पैग़ाम लाया दिन दीवाली का<br /><br />ख़ुशनसीबी यूं तो अपनी भी नहीं कुछ कम<br />साथ सबके है मनाया दिन दीवाली कानिर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-31214086759734443992011-10-21T18:51:00.000-07:002011-10-21T18:56:12.690-07:00दीपावली के अवसर पर एक तरही ग़जलदीप ख़ुशियों के जल उठे हर सू<br />रात, दिन बन गई लगे हर सू<br /><br />जगमगाने लगा शहर कुछ यूं<br />कि चमक ही चमक दिखे हर सू<br /><br />बाद मुद्दत के हो रही हलचल<br />अब नगर में मेले लगे हर सू<br /><br />है चमकता सितारों सा हर घर<br />जोत से जोत जब जगे हर सू<br /><br />शोर है मच रहा पटाख़ों का<br />यूं नदी जोश की बहे हर सू<br /><br />गुनगुनाता रहे चमन सारा<br />प्यार की बात ही चले हर सू<br /><br />दूर दुनिया से ग़म हो जायें गर<br />गीत उल्फ़त का बज उठे हर सू<br /><br />मुस्कुराते हुये वो आये जब<br />यूं लगा फूल हैं खिले हर सू<br /><br />ज़िन्दगी मौज में गुज़र जाये<br />वो चलें साथ जो मिरे हर सू<br /><br />प्यार को तेरे कोई ना समझे<br />तू तो निर्मल यूं ही बिके हर सूनिर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-2459061642422252402011-10-17T18:43:00.000-07:002011-10-17T19:09:26.844-07:00दिन आज भी निकला हैदिन आज भी निकला है<br />दिन कल भी निकलेगा<br />उम्मीद का सूरज जाने कब<br />किस ओर से निकलेगा<br /><br />इन्तज़ार की घड़ियां गिन <br />गिन नज़र गई पथराई<br />जिसकी ख़ातिर जीने <br />निकले वही नज़र न आई,<br />उस मंज़िल का पता न<br />जाने किसकी ज़ुबां से निकलेगा<br /><br />भटक-भटक के दुनिया देखी<br />अटक-अटक चली जीवन गाड़ी<br />सहम-सहम के दिन हैं बीते<br />तड़प-तड़प के रातें काटी<br />चाँद ही जाने वो किस रोज़<br />हमारी छत पर निकलेगा<br /><br />जीवन मंथन करते-करते<br />हम हुये थकन से चूर<br />यूं ही चलते-चलते हम<br />आ पहुँचे हैं कितनी दूर<br />अपने भाग्य का मोती जाने<br />किस गहराई से निकलेगा<br /><br />कहाँ से आये किधर है जाना<br />नहीं पता न कोई ठिकाना<br />किससे हम फ़रियाद करें कि<br />किसे है पाना किसे है खोना<br />उसके घर जाने का रस्ता पता<br />नहीं किस तरफ़ से निकलेगा<br />दिन आज भी निकला है<br />दिन कल भी निकलेगा...निर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-87217379114071183522011-10-15T18:55:00.000-07:002011-10-15T19:16:48.203-07:00फौजा सिंह को समर्पितज़िन्दगी में हर घड़ी वो दौड़ता ही जा रहा<br />हर किसी को आज पीछे छोड़ता ही जा रहा<br /><br />दौड़ना ही ज़िन्दगी है, दौड़ना ही बन्दगी<br />इश्क उसको दौड़ने से, दौड़ने से हर ख़ुशी<br />इस डगर को उस डगर से जोड़ता ही जा रहा<br /><br />नाम उसका फ़ौजियों सा,साधुओं सा भेस है<br />हिन्द की है शान वो तो हिन्द उसका देस है<br />जो बने हैं सब रिकार्ड तोड़ता ही जा रहा<br /><br />सौ बरस की उम्र है पर नौजवां सा जोश है<br />देख उसको ये लगे है उसको पूरा होश है<br />हर क़दम वो रुख़ हवा का मोड़ता ही जा रहा<br /><br />ना हकीमों की ज़रूरत ना दवायें ले कभी<br />ना ही खाये बेज़रूरत ना ही पीये मय कभी<br />दिल में उठते गर्व को वो फोड़ता ही जा रहा<br /><br />जान फूंके सबके दिल में सबको देता है सदा<br />उसके जीवन से मिले है सबको जीने की अदा<br />रहमतों से वो ख़ुदा की दौड़ता ही जा रहा<br />ज़िन्दगी में हर घड़ी वो दौड़ता ही जा रहा.....निर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9203784933348114049.post-40591308545740622672011-10-08T19:30:00.000-07:002011-10-08T19:53:37.178-07:00प्यार है तोप्यार है तो प्यार का इज़हार होना चाहिये<br />आशिकों में हिम्मते इक़रार होना चाहिये<br /><br />प्यार करना हर किसी के बस में होता ही नहीं<br />आशिकी में आदमी दमदार होना चाहिये<br /><br />साथ जब तक हो न कोई ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी<br />ज़िन्दगी में एक अपना यार होना चाहिये<br /><br />राज़ की ये बात सुन लो कह गये आशिक़ बड़े<br />डूब जायें हम मगर दिल पार होना चाहिये<br /><br />रोग लाईलाज है ये मानते हैं सब मगर<br />इस मुहब्बत में बड़ा क़िरदार होना चाहिये<br /><br />है दुआ अपनी यही कि इस जहां में अब तो बस<br />हर किसी को हर किसी से प्यार होना चाहियेनिर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttp://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.com0