आल सीज़न टायर जैसे हम
घिसते रहते सड़कों पे हरदम
चलते रहना आदत है पड़ गई
थकने का अब नाम न जाने हम
सर्दी गर्मी बारिश या तूफ़ान
तन पे झेलें हम सारे मौसम
चाहे जितने सुख-दुख राहों में
गाते रहते जीवन की सरगम
गिनती के दिन होते टायर के
घबराते ना उससे फिर भी हम
तेरे हाथ में है चाभी अपनी
जिधर चलाते चल ही पड़ते हम
ड्राईवर मेरे तुम हो तो हमको
ना ही डर है ना ही कोई ग़म
ज्यों-ज्यों चलते घटता है जीवन
बदल ही देना जब जी चाहे तुम....
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Sunday, March 25, 2012
Tuesday, January 24, 2012
अभी तक गांव में
ये सुना है, इक दिवानी है अभी तक गांव में
जो मुझे ही याद करती है अभी तक गांव में
हम जहाँ मिलते रहे थे शाम के साये तले
वो सुहानी शाम ढलती है अभी तक गांव में
सात सागर पार करके दूर तो हम आ गये
पर हमारी जान अटकी है अभी तक गांव में
यूं बदल तो सब गया है अब वहाँ फिर भी मगर
इक पुराना पेड़ बाकी है अभी तक गांव में
चैन मिलता है वहाँ आराम मिलता है वहाँ
हर ख़ुशी की राह मिलती है अभी तक गांव में
ज़िन्दगी रफ़्तार से चलने लगी है हर तरफ़
फिर भी देखो आस बसती है अभी तक गांव में
बिन हमारे शायरी ग़मगीन है रहने लगी
याद अपनी सबको आती है अभी तक गांव में
वो बिचारा तो जहां की भीड़ में है खो गया
कोई निर्मल को बुलाती है अभी तक गांव में
जो मुझे ही याद करती है अभी तक गांव में
हम जहाँ मिलते रहे थे शाम के साये तले
वो सुहानी शाम ढलती है अभी तक गांव में
सात सागर पार करके दूर तो हम आ गये
पर हमारी जान अटकी है अभी तक गांव में
यूं बदल तो सब गया है अब वहाँ फिर भी मगर
इक पुराना पेड़ बाकी है अभी तक गांव में
चैन मिलता है वहाँ आराम मिलता है वहाँ
हर ख़ुशी की राह मिलती है अभी तक गांव में
ज़िन्दगी रफ़्तार से चलने लगी है हर तरफ़
फिर भी देखो आस बसती है अभी तक गांव में
बिन हमारे शायरी ग़मगीन है रहने लगी
याद अपनी सबको आती है अभी तक गांव में
वो बिचारा तो जहां की भीड़ में है खो गया
कोई निर्मल को बुलाती है अभी तक गांव में
Friday, December 30, 2011
नया साल
नव-वर्ष की शुभकामनाओं के साथ
साल इक बार फिर से नया हो चला
बाग़ हर ज़िन्दगी का हरा हो चला
था भला या बुरा जो गया है गुज़र
फिर दोबारा नये का नशा हो चला
हर कोई हर किसी से गले मिल रहा
सिलसिला अब ख़ुशी का घना हो चला
तुम जिसे कह रहे थे दुखों का नगर
हर गली में ख़ुशी का पता हो चला
फूल हम दे रहे हैं बधाई के तुझे
जान लो साले नौ अब खरा हो चला
एक बार फिर सबको नये साल की बधाई हो...
साल इक बार फिर से नया हो चला
बाग़ हर ज़िन्दगी का हरा हो चला
था भला या बुरा जो गया है गुज़र
फिर दोबारा नये का नशा हो चला
हर कोई हर किसी से गले मिल रहा
सिलसिला अब ख़ुशी का घना हो चला
तुम जिसे कह रहे थे दुखों का नगर
हर गली में ख़ुशी का पता हो चला
फूल हम दे रहे हैं बधाई के तुझे
जान लो साले नौ अब खरा हो चला
एक बार फिर सबको नये साल की बधाई हो...
Sunday, December 4, 2011
लीला दिखाया न कर
हर घड़ी तू मुझे आजमाया न कर
मैं तो इन्सान हूँ ये भूल जाया न कर
साथ देने का वादा किया तूने तो
राह में ही मुझे छोड़ जाया न कर
ढूँढता मैं तुझे हर जगह हर गली
दे ज़रा सी झलक छुप तो जाया न कर
चल रहा मैं अकेला बहुत देर से
साथ दे दे ज़रा यूं सताया न कर
बेख़बर था बहुत मैं किसी दौर में
याद उस दौर की अब दिलाया न कर
ज़िन्दगी चीज़ है बेरहम आजकल
सपनों से और इसको लुभाया न कर
जब तेरी मौज में डूबता मैं कभी
उस ख़ुशी से मुझे दूर लाया न कर
पास भी तुम नहीं दूर भी तुम नहीं
ऐसी निर्मल को लीला दिखाया न कर
मैं तो इन्सान हूँ ये भूल जाया न कर
साथ देने का वादा किया तूने तो
राह में ही मुझे छोड़ जाया न कर
ढूँढता मैं तुझे हर जगह हर गली
दे ज़रा सी झलक छुप तो जाया न कर
चल रहा मैं अकेला बहुत देर से
साथ दे दे ज़रा यूं सताया न कर
बेख़बर था बहुत मैं किसी दौर में
याद उस दौर की अब दिलाया न कर
ज़िन्दगी चीज़ है बेरहम आजकल
सपनों से और इसको लुभाया न कर
जब तेरी मौज में डूबता मैं कभी
उस ख़ुशी से मुझे दूर लाया न कर
पास भी तुम नहीं दूर भी तुम नहीं
ऐसी निर्मल को लीला दिखाया न कर
Monday, November 28, 2011
दिले-गुलशन सजा लेते
मेरी दुनिया में आ जाते नई दुनिया बना लेते
अगर तुम साथ होते तो ज़माने को झुका लेते
हवा का रुख़ बदल जाता समय की धार थम जाती
मुहब्बत से सितारों को ज़मीं पे हम बुला लेते
ख़ुशी की बात होती या ग़मों की दास्तां होती
ज़रा तुमसे सुना करते ज़रा अपनी सुना लेते
कभी ख़ामोश हो लेते कभी हम गुनगुना लेते
कभी मदहोश होकर हम तुझे तुमसे चुरा लेते
दीवाने हम हुये रहते दीवारों पर लिखा करते
कभी जो रूठ जाते तुम तभी तुमको मना लेते
जो सपनों से उतर कर तुम हक़ीक़त में चले आते
तो फिर हम भी मुहब्बत से दिले-गुलशन सजा लेते
अगर तुम साथ होते तो ज़माने को झुका लेते
हवा का रुख़ बदल जाता समय की धार थम जाती
मुहब्बत से सितारों को ज़मीं पे हम बुला लेते
ख़ुशी की बात होती या ग़मों की दास्तां होती
ज़रा तुमसे सुना करते ज़रा अपनी सुना लेते
कभी ख़ामोश हो लेते कभी हम गुनगुना लेते
कभी मदहोश होकर हम तुझे तुमसे चुरा लेते
दीवाने हम हुये रहते दीवारों पर लिखा करते
कभी जो रूठ जाते तुम तभी तुमको मना लेते
जो सपनों से उतर कर तुम हक़ीक़त में चले आते
तो फिर हम भी मुहब्बत से दिले-गुलशन सजा लेते
Friday, November 25, 2011
ख़ुशियाँ
बड़ी मुश्किल से मिलती हैं ज़माने में कभी खुशियाँ
सम्हालो प्यार से इनको ख़ुदा से जो मिली ख़ुशियाँ
कभी तो चाँद बन के ईद का उतरी तेरे आँगन
दिया बन के दिवाली का कभी घर में सजी ख़ुशियाँ
ये माना कि ज़माने को ग़मों ने घेर रक्खा है
ज़रा घेरे से निकलो तो दिखे दर पे खड़ी खुशियाँ
जो मिल-जुल के रहें हम-सब यहाँ इस दौर में अपने
तो ये जानो कि हम-सब की संवारे ज़िन्दगी ख़ुशियाँ
कभी सावन चला आता कभी पतझड़ नज़र आता
जो देखोगे तो हर मौसम के पीछे हैं छुपी ख़ुशियाँ
न शिकवे हों, शिकायत हो किसी से तुमको अब निर्मल
जो तुम अपने में झांकोगे नज़र तब आयेंगी ख़ुशीयाँ
सम्हालो प्यार से इनको ख़ुदा से जो मिली ख़ुशियाँ
कभी तो चाँद बन के ईद का उतरी तेरे आँगन
दिया बन के दिवाली का कभी घर में सजी ख़ुशियाँ
ये माना कि ज़माने को ग़मों ने घेर रक्खा है
ज़रा घेरे से निकलो तो दिखे दर पे खड़ी खुशियाँ
जो मिल-जुल के रहें हम-सब यहाँ इस दौर में अपने
तो ये जानो कि हम-सब की संवारे ज़िन्दगी ख़ुशियाँ
कभी सावन चला आता कभी पतझड़ नज़र आता
जो देखोगे तो हर मौसम के पीछे हैं छुपी ख़ुशियाँ
न शिकवे हों, शिकायत हो किसी से तुमको अब निर्मल
जो तुम अपने में झांकोगे नज़र तब आयेंगी ख़ुशीयाँ
Tuesday, November 15, 2011
ख़ुदा ही हरदम
ख़ुदा ही हरदम
मैं चल पड़ा अब तेरे सहारे
पड़ा था कबसे कहीं किनारे
कहीं न हरकत कहीं न हलचल
जमे हुये थे क़दम हमारे
बन्द घड़ी हो गया था जीवन
सुने न कोई किसे पुकारे
कभी मुझे कुछ नज़र न आया
दिखे जो तुम तो दिखे नज़ारे
कहीं न जाने देना है तुझको
बने हो अब तो सनम हमारे
तेरी तमन्ना तेरी इबादत
यही मुक़द्दर करे इशारे
खुदा ही हरदम ख़ुदा ही हरपल
संग हमारे संग तुम्हारे
मैं चल पड़ा अब तेरे सहारे
पड़ा था कबसे कहीं किनारे
कहीं न हरकत कहीं न हलचल
जमे हुये थे क़दम हमारे
बन्द घड़ी हो गया था जीवन
सुने न कोई किसे पुकारे
कभी मुझे कुछ नज़र न आया
दिखे जो तुम तो दिखे नज़ारे
कहीं न जाने देना है तुझको
बने हो अब तो सनम हमारे
तेरी तमन्ना तेरी इबादत
यही मुक़द्दर करे इशारे
खुदा ही हरदम ख़ुदा ही हरपल
संग हमारे संग तुम्हारे
Tuesday, November 8, 2011
ये हो नहीं सकता
जुदा तुमसे रहूँ मैं इक घड़ी ये हो नहीं सकता
अगर ऐसा हुआ तो फिर कभी मैं सो नहीं सकता
न जाने किस दुआ बदले ख़ुदा ने तुझको भेजा है
मुझे लगता जो देखे ख़्वाब थे उनका नतीजा है
क़सम तेरी किसी कीमत तुझे अब खो नहीं सकता
ज़रा सा दूर भी जाओ तो मेरा दिल धड़कता है
रहो नज़दीक मेरे हर घड़ी हर पल ये कहता है
कभी मैं सोचता भी वो नहीं, जो हो नहीं सकता
मुहब्बत एक ख़ुशबू है कभी जो मिट नहीं सकती
जवां रहती ये सदियों तक दिलों से हट नहीं सकती
मुहब्बत के बराबर तो कोई भी हो नहीं सकता
जुदा तुमसे रहूँ मैं इक घड़ी ये हो नहीं सकता.....
अगर ऐसा हुआ तो फिर कभी मैं सो नहीं सकता
न जाने किस दुआ बदले ख़ुदा ने तुझको भेजा है
मुझे लगता जो देखे ख़्वाब थे उनका नतीजा है
क़सम तेरी किसी कीमत तुझे अब खो नहीं सकता
ज़रा सा दूर भी जाओ तो मेरा दिल धड़कता है
रहो नज़दीक मेरे हर घड़ी हर पल ये कहता है
कभी मैं सोचता भी वो नहीं, जो हो नहीं सकता
मुहब्बत एक ख़ुशबू है कभी जो मिट नहीं सकती
जवां रहती ये सदियों तक दिलों से हट नहीं सकती
मुहब्बत के बराबर तो कोई भी हो नहीं सकता
जुदा तुमसे रहूँ मैं इक घड़ी ये हो नहीं सकता.....
Sunday, October 30, 2011
ज़िन्दगी में कभी रोते को हंसा कर देखो
ज़िन्दगी में कभी रोते को हंसा कर देखो
अपने रूठे हुये दोस्त को मना कर देखो
फ़लसफ़ा सब ये समझ में आ जायेगा तेरे
इक मुहब्बत का दीया दिल में जगा कर देखो
इन असूलों ने तो बर्बाद किया कितनों को
है मज़ा तब, कभी गिरतों को उठा कर देखो
किस क़दर फैल गया है ये जुनूने मजहब
अपने चारो तरफ़ नज़रें तो उठा कर देखो
दूर हो जायेंगे सब फ़ासले जो तुम चाहो
ज़िन्दगी गीत है उल्फ़त का इसे गा कर देखो
कोई कितना भी हो संगदिल वो पिघल जाता है
बस ज़रा आँख से तुम आँख मिला कर देखो
कौन कहता है ख़ुदा दूर बहुत है तुमसे
पास है तेरे वो आवाज़ लगा कर देखो
हर तमन्ना तेरी हो जायेगी पूरी निर्मल
घर फ़कीरों के कभी तुम ज़रा जाकर देखो
अपने रूठे हुये दोस्त को मना कर देखो
फ़लसफ़ा सब ये समझ में आ जायेगा तेरे
इक मुहब्बत का दीया दिल में जगा कर देखो
इन असूलों ने तो बर्बाद किया कितनों को
है मज़ा तब, कभी गिरतों को उठा कर देखो
किस क़दर फैल गया है ये जुनूने मजहब
अपने चारो तरफ़ नज़रें तो उठा कर देखो
दूर हो जायेंगे सब फ़ासले जो तुम चाहो
ज़िन्दगी गीत है उल्फ़त का इसे गा कर देखो
कोई कितना भी हो संगदिल वो पिघल जाता है
बस ज़रा आँख से तुम आँख मिला कर देखो
कौन कहता है ख़ुदा दूर बहुत है तुमसे
पास है तेरे वो आवाज़ लगा कर देखो
हर तमन्ना तेरी हो जायेगी पूरी निर्मल
घर फ़कीरों के कभी तुम ज़रा जाकर देखो
Friday, October 28, 2011
तू सुन मेरा शिकवा गिला
कुछ नहीं सूझे ख़ुदा, तू सुन मेरा शिकवा गिला
कब तलक चलता रहेगा इन ग़मों का सिलसिला
ज़िन्दगी थक हार कर ख़ामोश है रहने लगी
सांस जाने क्यों चले, ये क्यों न रुकता क़ाफ़िला
धर पकड़ होती रही पर हाथ ना आया कभी
मन का पंछी भी ग़ज़ब है जब मिला उड़ता मिला
खुल के हंसने की तमन्ना दिल में घुटती ही रही
पर ज़माना मुझपे हरदम मुस्कुराता ही मिला
सांप चलते ही मिले हैं आस्तीनों में यहाँ
ख़ूब यारों ने दिया है इन वफ़ाओं का सिला
क्या है खोया, क्या है पाया ये समझ ना आ सका
पर जो निकला ज़िन्दगी से वो गया है दिल हिला
ना ही बरसा कोई मौसम छत पे निर्मल की कभी
ना ही चमका कोई तारा ना ही कोई गुल खिला
कब तलक चलता रहेगा इन ग़मों का सिलसिला
ज़िन्दगी थक हार कर ख़ामोश है रहने लगी
सांस जाने क्यों चले, ये क्यों न रुकता क़ाफ़िला
धर पकड़ होती रही पर हाथ ना आया कभी
मन का पंछी भी ग़ज़ब है जब मिला उड़ता मिला
खुल के हंसने की तमन्ना दिल में घुटती ही रही
पर ज़माना मुझपे हरदम मुस्कुराता ही मिला
सांप चलते ही मिले हैं आस्तीनों में यहाँ
ख़ूब यारों ने दिया है इन वफ़ाओं का सिला
क्या है खोया, क्या है पाया ये समझ ना आ सका
पर जो निकला ज़िन्दगी से वो गया है दिल हिला
ना ही बरसा कोई मौसम छत पे निर्मल की कभी
ना ही चमका कोई तारा ना ही कोई गुल खिला
Sunday, October 23, 2011
हो मुबारक सबको दिन दीवाली का
आज ख़ुशियां लेके आया दिन दिवाली का
प्यार का संदेश लाया दिन दीवाली का
हो मुबारक आप सबको ये सुहाना दिन
है बहुत ही जगमगाया दिन दीवाली का
दीप जलते हर गली हर मोड़ पे अपने
हर नज़र में है समाया दिन दीवाली का
चमचमाती रोशनी ने वो समा बांधा
हर ज़ुबां ने गुनगुनाया दिन दीवाली का
भूल कर सबसे अदावत दोस्ती पालो
है यही पैग़ाम लाया दिन दीवाली का
ख़ुशनसीबी यूं तो अपनी भी नहीं कुछ कम
साथ सबके है मनाया दिन दीवाली का
प्यार का संदेश लाया दिन दीवाली का
हो मुबारक आप सबको ये सुहाना दिन
है बहुत ही जगमगाया दिन दीवाली का
दीप जलते हर गली हर मोड़ पे अपने
हर नज़र में है समाया दिन दीवाली का
चमचमाती रोशनी ने वो समा बांधा
हर ज़ुबां ने गुनगुनाया दिन दीवाली का
भूल कर सबसे अदावत दोस्ती पालो
है यही पैग़ाम लाया दिन दीवाली का
ख़ुशनसीबी यूं तो अपनी भी नहीं कुछ कम
साथ सबके है मनाया दिन दीवाली का
Friday, October 21, 2011
दीपावली के अवसर पर एक तरही ग़जल
दीप ख़ुशियों के जल उठे हर सू
रात, दिन बन गई लगे हर सू
जगमगाने लगा शहर कुछ यूं
कि चमक ही चमक दिखे हर सू
बाद मुद्दत के हो रही हलचल
अब नगर में मेले लगे हर सू
है चमकता सितारों सा हर घर
जोत से जोत जब जगे हर सू
शोर है मच रहा पटाख़ों का
यूं नदी जोश की बहे हर सू
गुनगुनाता रहे चमन सारा
प्यार की बात ही चले हर सू
दूर दुनिया से ग़म हो जायें गर
गीत उल्फ़त का बज उठे हर सू
मुस्कुराते हुये वो आये जब
यूं लगा फूल हैं खिले हर सू
ज़िन्दगी मौज में गुज़र जाये
वो चलें साथ जो मिरे हर सू
प्यार को तेरे कोई ना समझे
तू तो निर्मल यूं ही बिके हर सू
रात, दिन बन गई लगे हर सू
जगमगाने लगा शहर कुछ यूं
कि चमक ही चमक दिखे हर सू
बाद मुद्दत के हो रही हलचल
अब नगर में मेले लगे हर सू
है चमकता सितारों सा हर घर
जोत से जोत जब जगे हर सू
शोर है मच रहा पटाख़ों का
यूं नदी जोश की बहे हर सू
गुनगुनाता रहे चमन सारा
प्यार की बात ही चले हर सू
दूर दुनिया से ग़म हो जायें गर
गीत उल्फ़त का बज उठे हर सू
मुस्कुराते हुये वो आये जब
यूं लगा फूल हैं खिले हर सू
ज़िन्दगी मौज में गुज़र जाये
वो चलें साथ जो मिरे हर सू
प्यार को तेरे कोई ना समझे
तू तो निर्मल यूं ही बिके हर सू
Saturday, October 15, 2011
फौजा सिंह को समर्पित
ज़िन्दगी में हर घड़ी वो दौड़ता ही जा रहा
हर किसी को आज पीछे छोड़ता ही जा रहा
दौड़ना ही ज़िन्दगी है, दौड़ना ही बन्दगी
इश्क उसको दौड़ने से, दौड़ने से हर ख़ुशी
इस डगर को उस डगर से जोड़ता ही जा रहा
नाम उसका फ़ौजियों सा,साधुओं सा भेस है
हिन्द की है शान वो तो हिन्द उसका देस है
जो बने हैं सब रिकार्ड तोड़ता ही जा रहा
सौ बरस की उम्र है पर नौजवां सा जोश है
देख उसको ये लगे है उसको पूरा होश है
हर क़दम वो रुख़ हवा का मोड़ता ही जा रहा
ना हकीमों की ज़रूरत ना दवायें ले कभी
ना ही खाये बेज़रूरत ना ही पीये मय कभी
दिल में उठते गर्व को वो फोड़ता ही जा रहा
जान फूंके सबके दिल में सबको देता है सदा
उसके जीवन से मिले है सबको जीने की अदा
रहमतों से वो ख़ुदा की दौड़ता ही जा रहा
ज़िन्दगी में हर घड़ी वो दौड़ता ही जा रहा.....
हर किसी को आज पीछे छोड़ता ही जा रहा
दौड़ना ही ज़िन्दगी है, दौड़ना ही बन्दगी
इश्क उसको दौड़ने से, दौड़ने से हर ख़ुशी
इस डगर को उस डगर से जोड़ता ही जा रहा
नाम उसका फ़ौजियों सा,साधुओं सा भेस है
हिन्द की है शान वो तो हिन्द उसका देस है
जो बने हैं सब रिकार्ड तोड़ता ही जा रहा
सौ बरस की उम्र है पर नौजवां सा जोश है
देख उसको ये लगे है उसको पूरा होश है
हर क़दम वो रुख़ हवा का मोड़ता ही जा रहा
ना हकीमों की ज़रूरत ना दवायें ले कभी
ना ही खाये बेज़रूरत ना ही पीये मय कभी
दिल में उठते गर्व को वो फोड़ता ही जा रहा
जान फूंके सबके दिल में सबको देता है सदा
उसके जीवन से मिले है सबको जीने की अदा
रहमतों से वो ख़ुदा की दौड़ता ही जा रहा
ज़िन्दगी में हर घड़ी वो दौड़ता ही जा रहा.....
Saturday, October 8, 2011
प्यार है तो
प्यार है तो प्यार का इज़हार होना चाहिये
आशिकों में हिम्मते इक़रार होना चाहिये
प्यार करना हर किसी के बस में होता ही नहीं
आशिकी में आदमी दमदार होना चाहिये
साथ जब तक हो न कोई ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी
ज़िन्दगी में एक अपना यार होना चाहिये
राज़ की ये बात सुन लो कह गये आशिक़ बड़े
डूब जायें हम मगर दिल पार होना चाहिये
रोग लाईलाज है ये मानते हैं सब मगर
इस मुहब्बत में बड़ा क़िरदार होना चाहिये
है दुआ अपनी यही कि इस जहां में अब तो बस
हर किसी को हर किसी से प्यार होना चाहिये
आशिकों में हिम्मते इक़रार होना चाहिये
प्यार करना हर किसी के बस में होता ही नहीं
आशिकी में आदमी दमदार होना चाहिये
साथ जब तक हो न कोई ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी
ज़िन्दगी में एक अपना यार होना चाहिये
राज़ की ये बात सुन लो कह गये आशिक़ बड़े
डूब जायें हम मगर दिल पार होना चाहिये
रोग लाईलाज है ये मानते हैं सब मगर
इस मुहब्बत में बड़ा क़िरदार होना चाहिये
है दुआ अपनी यही कि इस जहां में अब तो बस
हर किसी को हर किसी से प्यार होना चाहिये
Sunday, July 3, 2011
दुनिया इक जमघट है
दुनिया इक जमघट है,रिश्तों की दलदल है
जीवन हर उलझन है,आपस की छलबल है
सपनों के मरघट हैं,ऐसा ये जंगल है
भागमभाग है हर सू,पल पल की दंगल है
निद्रा को तरसे है,हरदम मन भटके है
सांसों की डोरी में, कोई ना कस बल है
माना उसकी राहें,सीधी औ सच्ची है
जायेंगे पर कैसे, दिल में ना हलचल है
जब तक नैना चमके,जब तक दिल है धड़के
तब तक सब है वर्ना,माटी में घुलमिल है
जीवन हर उलझन है,आपस की छलबल है
सपनों के मरघट हैं,ऐसा ये जंगल है
भागमभाग है हर सू,पल पल की दंगल है
निद्रा को तरसे है,हरदम मन भटके है
सांसों की डोरी में, कोई ना कस बल है
माना उसकी राहें,सीधी औ सच्ची है
जायेंगे पर कैसे, दिल में ना हलचल है
जब तक नैना चमके,जब तक दिल है धड़के
तब तक सब है वर्ना,माटी में घुलमिल है
Wednesday, June 29, 2011
तुम मिले जो मुझे
तुम मिले जो मुझे,बात बनने लगी
ज़िन्दगी को नई राह दिखने लगी
थी न रौनक ज़रा सी चमन में कहीं
अब तो फूलों की बरसात होने लगी
जो जगह थी अंधेरों में डूबी हुई
वो तेरी चाँदनी से चमकने लगी
सूझता कुछ नहीं था लबों को जहाँ
उन पे गीतों की सरगम मचलने लगी
रंग तस्वीर के सब थे फीके हुये
फिर से जीवन की बगिया महकने लगी
तुमसे रोशन है निर्मल के दिल का जहां
प्यार की इक शमा उस में जगने लगी
ज़िन्दगी को नई राह दिखने लगी
थी न रौनक ज़रा सी चमन में कहीं
अब तो फूलों की बरसात होने लगी
जो जगह थी अंधेरों में डूबी हुई
वो तेरी चाँदनी से चमकने लगी
सूझता कुछ नहीं था लबों को जहाँ
उन पे गीतों की सरगम मचलने लगी
रंग तस्वीर के सब थे फीके हुये
फिर से जीवन की बगिया महकने लगी
तुमसे रोशन है निर्मल के दिल का जहां
प्यार की इक शमा उस में जगने लगी
Saturday, June 18, 2011
तुम जो होते
साथ मेरे तुम जो होते ज़िन्दगी फिर मुस्कुराती
नाचते फिर हर घड़ी हम हर तमन्ना खिलखिलाती
धड़कनें मदहोश होतीं चाहतें पुरजोश होतीं
आस्मानों पर हमारे कहकशां ही जगमगाती
गीत दिल की वादियों में गूंजते पल-पल नये फिर
संग भंवरे के कली मिल गीत हरदम गुनगुनाती
थे ज़रूरत तुम सफ़र की और ना कुछ चाहिये था
हाथ में जो हाथ होता फिर तो मंज़िल मिल ही जाती
खो गये पर तुम न जाने वक़्त की किन ग़र्दिशों में
याद निर्मल को तुम्हारी रोज़ोशब अब है सताती
नाचते फिर हर घड़ी हम हर तमन्ना खिलखिलाती
धड़कनें मदहोश होतीं चाहतें पुरजोश होतीं
आस्मानों पर हमारे कहकशां ही जगमगाती
गीत दिल की वादियों में गूंजते पल-पल नये फिर
संग भंवरे के कली मिल गीत हरदम गुनगुनाती
थे ज़रूरत तुम सफ़र की और ना कुछ चाहिये था
हाथ में जो हाथ होता फिर तो मंज़िल मिल ही जाती
खो गये पर तुम न जाने वक़्त की किन ग़र्दिशों में
याद निर्मल को तुम्हारी रोज़ोशब अब है सताती
Wednesday, June 15, 2011
दिन गुजरते हैं
दिन गुज़रते हैं हवाओं की तरह
लोग मिलते हैं घटाओं की तरह
फूल कागज़ का बनी ये ज़िन्दगी
दिल हैं जलते अब चिताओं की तरह
मुश्किलों ने है जो चेहरे पे जड़ा
दिख रहा है वो सज़ाओं की तरह
है नज़र ख़ामोश दिल को होश ना
ज़िन्दगी है चुप ख़लाओं की तरह
किससे बोलें किससे निस्बत हम करें
काश,हो कोई दवाओं की तरह
गर ज़रूरत ही नहीं निर्मल तेरी
क्यों हो चिपके तुम बलाओं की तरह
लोग मिलते हैं घटाओं की तरह
फूल कागज़ का बनी ये ज़िन्दगी
दिल हैं जलते अब चिताओं की तरह
मुश्किलों ने है जो चेहरे पे जड़ा
दिख रहा है वो सज़ाओं की तरह
है नज़र ख़ामोश दिल को होश ना
ज़िन्दगी है चुप ख़लाओं की तरह
किससे बोलें किससे निस्बत हम करें
काश,हो कोई दवाओं की तरह
गर ज़रूरत ही नहीं निर्मल तेरी
क्यों हो चिपके तुम बलाओं की तरह
Monday, June 13, 2011
गुजर गये इस जहां से
गुज़र गये इस जहां से हम तो जहां ये फिर भी चला करेगा
कभी न रुकता, कभी न थमता वक़्त का दरिया बहा करेगा
ले सांस में सांस जो हैं कहते, संग जियेंगे संग मरेंगे
हुआ कभी ना किसी जनम जो,वो कल भी ना हुआ करेगा
रिश्तों का ब्योपार बना जग,कभी मुनाफ़ा कभी है घाटा
ख़ुदा ही जाने ख़ुदा ही समझे ऐसा कब तक चला करेगा
प्यार मुहब्बत हुये अनोखे,कहीं वफ़ा तो कहीं हैं धोके
नये वक़्त में प्यार की ख़ातिर अब न कोई मिटा करेगा
कोई किसी के संग मरे ना,मरे तो निर्मल आप मरे बस
किया बुरा है जहां में जिसने वही तो आख़िर भरा करेगा
कभी न रुकता, कभी न थमता वक़्त का दरिया बहा करेगा
ले सांस में सांस जो हैं कहते, संग जियेंगे संग मरेंगे
हुआ कभी ना किसी जनम जो,वो कल भी ना हुआ करेगा
रिश्तों का ब्योपार बना जग,कभी मुनाफ़ा कभी है घाटा
ख़ुदा ही जाने ख़ुदा ही समझे ऐसा कब तक चला करेगा
प्यार मुहब्बत हुये अनोखे,कहीं वफ़ा तो कहीं हैं धोके
नये वक़्त में प्यार की ख़ातिर अब न कोई मिटा करेगा
कोई किसी के संग मरे ना,मरे तो निर्मल आप मरे बस
किया बुरा है जहां में जिसने वही तो आख़िर भरा करेगा
Wednesday, February 2, 2011
तेरे आने से
हुआ ग़ुलज़ार है दिल का चमन ये तेरे आने से
ख़ुशी से झूमते धरती गगन ये तेरे आने से
मुझे लगता तेरा मुझसे कोई नाता पुराना है
नहीं तो दिल है क्यों इतना मगन ये तेरे आने से
बहारें मुस्कुराती हैं ये कलियां गीत गाती हैं
कि ख़ुशबू से भरी फिरती पवन ये तेरे आने से
कभी मैंने न सोचा था कि ऐसे दिन भी आयेंगे
कि जज़बातों की भड़केगी अगन ये तेरे आने से
मेरे ख़्वाबों में अब तो हर घड़ी चेहरा तुम्हारा है
हुआ ग़ायब मेरा चैनो-अमन ये तेरे आने से
तेरा दर छोड़ कर मुझको कहीं अब और न जाना
कि बदला है ख़्यालों का चलन ये तेरे आने से
वो कहने को तो कहते हैं हुआ निर्मल दीवाना है
वो क्या जाने लगी कैसी लगन ये तेरे आने से
ख़ुशी से झूमते धरती गगन ये तेरे आने से
मुझे लगता तेरा मुझसे कोई नाता पुराना है
नहीं तो दिल है क्यों इतना मगन ये तेरे आने से
बहारें मुस्कुराती हैं ये कलियां गीत गाती हैं
कि ख़ुशबू से भरी फिरती पवन ये तेरे आने से
कभी मैंने न सोचा था कि ऐसे दिन भी आयेंगे
कि जज़बातों की भड़केगी अगन ये तेरे आने से
मेरे ख़्वाबों में अब तो हर घड़ी चेहरा तुम्हारा है
हुआ ग़ायब मेरा चैनो-अमन ये तेरे आने से
तेरा दर छोड़ कर मुझको कहीं अब और न जाना
कि बदला है ख़्यालों का चलन ये तेरे आने से
वो कहने को तो कहते हैं हुआ निर्मल दीवाना है
वो क्या जाने लगी कैसी लगन ये तेरे आने से
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