दुनिया है ये फ़ानी तो क्या
ग़म की एक कहानी तो क्या
मंज़िल फिर भी पा ही लेंगे
आज अगर परेशानी तो क्या
वक़्त को क़ाबू भी कर लेंगे
करता वो मनमानी तो क्या
होंठ न छोड़ें हँसना गाना
आँखों में है पानी, तो क्या
मरना जीना रुक न पाता
करते आना कानी तो क्या
लम्हा लम्हा सहमा सहमा
छाई है वीरानी, तो क्या
महकेगा अपना भी गुलशन
पतझड़ है तूफ़ानी तो क्या
बातें उसकी अच्छी होतीं
हैं थोड़ी दीवानी तो क्या
इश्क़ ने किसको बख़्शा निर्मल
तुझ पर नज़रें तानी तो क्या
Sunday, November 15, 2009
Sunday, November 8, 2009
भूल कर भी
भूल कर भी अब कभी वो
भूलती मुझको नहीं वो
दिल के अंदर है बसी वो
दूर जाती ही नहीं वो
नाम उसका जब सुनूं मैं
चैन ले जाती तभी वो
साथ रहना, साथ चलना
याद है बातें सभी वो
दिल मेरा तो बैठ जाता
मिल है जाती जब कभी वो
होश मुझको तब नहीं थी
जब मुहब्बत में खुली वो
टूट कर तब रह गया था
छोड़ मुझको जब चली वो
जान थी वो ज़िन्दगी थी
पास जब तक है रही वो
या ख़ुदा ये सिलसिला कर
साथ हो फिर हर घड़ी वो
किस बला ने वो बदल दी
थी मुहब्बत से भरी वो
यार निर्मल मान ले अब
है बुरी इतनी नहीं वो
भूलती मुझको नहीं वो
दिल के अंदर है बसी वो
दूर जाती ही नहीं वो
नाम उसका जब सुनूं मैं
चैन ले जाती तभी वो
साथ रहना, साथ चलना
याद है बातें सभी वो
दिल मेरा तो बैठ जाता
मिल है जाती जब कभी वो
होश मुझको तब नहीं थी
जब मुहब्बत में खुली वो
टूट कर तब रह गया था
छोड़ मुझको जब चली वो
जान थी वो ज़िन्दगी थी
पास जब तक है रही वो
या ख़ुदा ये सिलसिला कर
साथ हो फिर हर घड़ी वो
किस बला ने वो बदल दी
थी मुहब्बत से भरी वो
यार निर्मल मान ले अब
है बुरी इतनी नहीं वो
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