Sunday, November 15, 2009

दुनिया है ये फ़ानी

दुनिया है ये फ़ानी तो क्या
ग़म की एक कहानी तो क्या

मंज़िल फिर भी पा ही लेंगे
आज अगर परेशानी तो क्या

वक़्त को क़ाबू भी कर लेंगे
करता वो मनमानी तो क्या

होंठ न छोड़ें हँसना गाना
आँखों में है पानी, तो क्या

मरना जीना रुक न पाता
करते आना कानी तो क्या

लम्हा लम्हा सहमा सहमा
छाई है वीरानी, तो क्या

महकेगा अपना भी गुलशन
पतझड़ है तूफ़ानी तो क्या

बातें उसकी अच्छी होतीं
हैं थोड़ी दीवानी तो क्या

इश्क़ ने किसको बख़्शा निर्मल
तुझ पर नज़रें तानी तो क्या

Sunday, November 8, 2009

भूल कर भी

भूल कर भी अब कभी वो
भूलती मुझको नहीं वो

दिल के अंदर है बसी वो
दूर जाती ही नहीं वो

नाम उसका जब सुनूं मैं
चैन ले जाती तभी वो

साथ रहना, साथ चलना
याद है बातें सभी वो

दिल मेरा तो बैठ जाता
मिल है जाती जब कभी वो

होश मुझको तब नहीं थी
जब मुहब्बत में खुली वो

टूट कर तब रह गया था
छोड़ मुझको जब चली वो

जान थी वो ज़िन्दगी थी
पास जब तक है रही वो

या ख़ुदा ये सिलसिला कर
साथ हो फिर हर घड़ी वो

किस बला ने वो बदल दी
थी मुहब्बत से भरी वो

यार निर्मल मान ले अब
है बुरी इतनी नहीं वो