नव-वर्ष की शुभकामनाओं के साथ
साल इक बार फिर से नया हो चला
बाग़ हर ज़िन्दगी का हरा हो चला
था भला या बुरा जो गया है गुज़र
फिर दोबारा नये का नशा हो चला
हर कोई हर किसी से गले मिल रहा
सिलसिला अब ख़ुशी का घना हो चला
तुम जिसे कह रहे थे दुखों का नगर
हर गली में ख़ुशी का पता हो चला
फूल हम दे रहे हैं बधाई के तुझे
जान लो साले नौ अब खरा हो चला
एक बार फिर सबको नये साल की बधाई हो...
Friday, December 30, 2011
Friday, December 23, 2011
शक्तियों शक्ति दो
दिक्कतों से जूझता
तम है गहरा
कुछ न सूझता,
विश्व रंगहीन हो गया
कौन अब
किसी को पूछता,
इस कठिन काल में
कोई एक युक्ति दो
शक्तियों शक्ति दो
शक्ति दो,
विश्वास चरमरा रहा
हौसला भी डगमगा रहा,
बस रहा था मन में जो
दूर हमसे क्यों वो जा रहा,
हृदय से भावनायें मेट कर
मुक्ति दो
शक्तियों शक्ति दो
शक्ति दो
हर तरफ़
नियम का ही जाल है
ज़िन्दगी सवाल पर
सवाल है,
यदि प्रेम से जीये चलो तो
बस कमाल ही
कमाल है,
प्रेम ही रचा हो जिसमें
ऎसी एक पंक्ति दो
शक्तियों शक्ति दो
शक्ति दो...
तम है गहरा
कुछ न सूझता,
विश्व रंगहीन हो गया
कौन अब
किसी को पूछता,
इस कठिन काल में
कोई एक युक्ति दो
शक्तियों शक्ति दो
शक्ति दो,
विश्वास चरमरा रहा
हौसला भी डगमगा रहा,
बस रहा था मन में जो
दूर हमसे क्यों वो जा रहा,
हृदय से भावनायें मेट कर
मुक्ति दो
शक्तियों शक्ति दो
शक्ति दो
हर तरफ़
नियम का ही जाल है
ज़िन्दगी सवाल पर
सवाल है,
यदि प्रेम से जीये चलो तो
बस कमाल ही
कमाल है,
प्रेम ही रचा हो जिसमें
ऎसी एक पंक्ति दो
शक्तियों शक्ति दो
शक्ति दो...
Wednesday, December 7, 2011
देर न कर फ़ैसला कर
अच्छा-बुरा, उचित-अनुचित
न्याय-अन्याय, पाप-पुन्य
सत्य-असत्य, दण्ड या माफ़ी
ये सब तू जाने
मैं तो केवल जानूं
उमड़ती भावनायें, उड़ती अभिलाषायें
घुटती तमन्नायें, सुलगती चिन्गारियां
मचलती किलकारियां,
मैं तो केवल जानूं
सुख-दुख, मिलना-बिछड़ना
रिश्ते-नाते, जोड़-घटाव
उतार-चढ़ाव, दोस्ती-दुश्मनी
जीवन-मृत्यु,
मगर हाँ,
मैं ये भी जानूं कि
नीयति की डोर
तेरे हाथ है
निर्णय की चाभी
तेरे पास है,
तो देर न कर
फ़ैसला कर,
आसामी है हाज़िर
रहने दे इसी जेल में
या
निकाल दे बाहिर
देर न कर
फ़ैसला कर
फ़ैसला कर...
न्याय-अन्याय, पाप-पुन्य
सत्य-असत्य, दण्ड या माफ़ी
ये सब तू जाने
मैं तो केवल जानूं
उमड़ती भावनायें, उड़ती अभिलाषायें
घुटती तमन्नायें, सुलगती चिन्गारियां
मचलती किलकारियां,
मैं तो केवल जानूं
सुख-दुख, मिलना-बिछड़ना
रिश्ते-नाते, जोड़-घटाव
उतार-चढ़ाव, दोस्ती-दुश्मनी
जीवन-मृत्यु,
मगर हाँ,
मैं ये भी जानूं कि
नीयति की डोर
तेरे हाथ है
निर्णय की चाभी
तेरे पास है,
तो देर न कर
फ़ैसला कर,
आसामी है हाज़िर
रहने दे इसी जेल में
या
निकाल दे बाहिर
देर न कर
फ़ैसला कर
फ़ैसला कर...
Sunday, December 4, 2011
लीला दिखाया न कर
हर घड़ी तू मुझे आजमाया न कर
मैं तो इन्सान हूँ ये भूल जाया न कर
साथ देने का वादा किया तूने तो
राह में ही मुझे छोड़ जाया न कर
ढूँढता मैं तुझे हर जगह हर गली
दे ज़रा सी झलक छुप तो जाया न कर
चल रहा मैं अकेला बहुत देर से
साथ दे दे ज़रा यूं सताया न कर
बेख़बर था बहुत मैं किसी दौर में
याद उस दौर की अब दिलाया न कर
ज़िन्दगी चीज़ है बेरहम आजकल
सपनों से और इसको लुभाया न कर
जब तेरी मौज में डूबता मैं कभी
उस ख़ुशी से मुझे दूर लाया न कर
पास भी तुम नहीं दूर भी तुम नहीं
ऐसी निर्मल को लीला दिखाया न कर
मैं तो इन्सान हूँ ये भूल जाया न कर
साथ देने का वादा किया तूने तो
राह में ही मुझे छोड़ जाया न कर
ढूँढता मैं तुझे हर जगह हर गली
दे ज़रा सी झलक छुप तो जाया न कर
चल रहा मैं अकेला बहुत देर से
साथ दे दे ज़रा यूं सताया न कर
बेख़बर था बहुत मैं किसी दौर में
याद उस दौर की अब दिलाया न कर
ज़िन्दगी चीज़ है बेरहम आजकल
सपनों से और इसको लुभाया न कर
जब तेरी मौज में डूबता मैं कभी
उस ख़ुशी से मुझे दूर लाया न कर
पास भी तुम नहीं दूर भी तुम नहीं
ऐसी निर्मल को लीला दिखाया न कर
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