Wednesday, December 7, 2011

देर न कर फ़ैसला कर

अच्छा-बुरा, उचित-अनुचित
न्याय-अन्याय, पाप-पुन्य
सत्य-असत्य, दण्ड या माफ़ी
ये सब तू जाने
मैं तो केवल जानूं
उमड़ती भावनायें, उड़ती अभिलाषायें
घुटती तमन्नायें, सुलगती चिन्गारियां
मचलती किलकारियां,
मैं तो केवल जानूं
सुख-दुख, मिलना-बिछड़ना
रिश्ते-नाते, जोड़-घटाव
उतार-चढ़ाव, दोस्ती-दुश्मनी
जीवन-मृत्यु,
मगर हाँ,
मैं ये भी जानूं कि
नीयति की डोर
तेरे हाथ है
निर्णय की चाभी
तेरे पास है,
तो देर न कर
फ़ैसला कर,
आसामी है हाज़िर
रहने दे इसी जेल में
या
निकाल दे बाहिर
देर न कर
फ़ैसला कर
फ़ैसला कर...

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