Tuesday, December 29, 2009

नव वर्ष की बधाई हो

नव वर्ष की सबों को
बधाई हो बधाई,
सुहानी भोर अपने संग
सूरज आस का है लाई,

बीते पल और
बीती बातें
सुख के दिन या
ग़म की रातें,
पीछे छोड़
सबको अब
चली नई फिर से
पुरवाई

अपने ख़्वाबों के
ख़ुदा से सुन
मांगता क्यों
हर घड़ी हर क्षण,
रास्तों पे
चल के देख
कली दिल की
मुस्कुराई,

तुम बीज प्रेम के
बिखेर दो
दिल पे लिखा ये
संदेश देख लो,
हर पंखुड़ी हसीन
नव धरा पे
खिल रही
है भाई,
नव वर्ष की
बधाई हो
बधाई...

Sunday, December 27, 2009

अचानक

अचानक मेरे दिल को क्या हो गया है
अभी तो यहीं था कहाँ खो गया है

कि बैठा था मैं तो तेरी जुस्तजू में
न जाने ये गुमसुम किधर को गया है

मेरे साथ होता है हरदम यही क्यों
तेरी ओर आऊँ तो ये खो गया है

तेरी आरज़ू अब मेरी ज़िन्दगी है
जहां में भटकते कहाँ खो गया है

तेरे प्यार के गीत हरदम सुनूँ मैं
तेरा नाम अब दिलरुबा हो गया है

ये निर्मल तुम्हारे करम का नतीजा
कि मेरे गुनाहों को कुछ धो गया है

Tuesday, December 22, 2009

अफ़साने मुहब्बत के

मुहब्बत के अफ़साने बनते रहेंगे
दिलों के ये क़िस्से युं चलते रहेंगे

न दिल वाले बदले न बदला ज़माना
ख़िलाफ़त हमेशा ये करते रहेंगे

कोई चाहे कितनी भी ताक़त दिखाये
दिये पर मुहब्बत के जलते रहेंगे

वो जिनके मुक़द्दर में होगी न उल्फ़त
तो समझो कि वो युं ही मरते रहेंगे

मगर जिन दिलों में मुहब्बत की ख़ुशबू
क़दम उनके मंज़िल को उठते रहेंगे

इश्क़ इक प्यारी सी रहमत ख़ुदा की
ये संग हो तो हम आगे बढ़ते रहेंगे

बता दे हमें ज़ुल्म कब तक युं निर्मल
मुहब्बत के दीवाने सहते रहेंगे

Tuesday, December 15, 2009

रहमत ख़ुदा की

ये रहमत ख़ुदा की अगर कम हो जाये
तो समझो ये दुनिया जहन्नम हो जाये

वो चाहे तो हर आग शबनम हो जाये
वे चाहे तो हर रात पूनम हो जाये

रोशन हैं फ़कत सब तन्वीरे ख़ुदा से
वो ना हो तो सब कुछ दर्दे ग़म हो जाये

नज़र उसकी पड़ती हो जब जिसपे सीधी
तो हर ग़म ख़ुशी का तरन्न्म हो जाये

ये पैकर हमारा इनायत उसी की
मुहब्ब्त से उसकी हमीं हम हो जाये

ज़माना ये चलता है चालें अजब सी
मगर जब वो बोले तो सब नम हो जाये

जो उसका नहीं है वो उसका भी दोस्त
जो उसका है उसका वो हमदम हो जाये

तड़पता है निर्मल भी हरदम उसी को
वो फ़ुरकत में उसकी न बेदम हो जाये

Tuesday, December 8, 2009

नया साल

नया साल आने से अब ना टला है
पुराना तो लगभग विदा हो चला है

दिये इसने ग़म चाहे ख़ुशियाँ हों बांटी
न सोचो ये अब हमको क्या-क्या मिला है

जो आने को है उसकी महफ़िल सजायें
जो जाने लगा उससे न कोई गिला है

ये दुनिया करे जो मुहब्बत मुहब्बत
तो फिर समझो नफ़रत न कोई बला है

मिलें हाथ सबके जो आपस में हरदम
इनायत में उसकी नया रंग घुला है

दुआ है यही अब न झगड़ें कभी हम
किया जिसने ऐसा वो फूला फला है

नया दौर सबका अमन से लदा हो
तो अपना भी निर्मल भला ही भला है

Saturday, December 5, 2009

कोहरा

आओ
कि हम
मन से कोहरा
हटायें,
छाया
अंधेरा जो
उसको
मिटायें,

हर बात में
कुछ
नयापन तो
ढूँढें,
हर आँख में
कुछ
अलग सा तो
देखें,
शिखा
प्रेम की युं
हम निरन्तर
जगायें,

सपने हों नये
और
पक्के इरादे,
रिश्तों की
हों न कभी
कच्ची बुनियादें,
ले हाथों में
हाथ
ज़ंजीर इक
बनायें,

माना कि मन पे
होते
कुठाराघात,
लगाते हैं
जब सब
घातों पे घात,
ज़रा-ज़रा फिर
क्यों न
दिल को
सहलायें,

महकता रहे
ख़ुशबू से
सारा चमन,
धरती ही
नहीं केवल
महके
वो गगन,
फिर तो
ये दुनिया
जन्नत ही
बन जाये

आओ
कि हम
मन से कोहरा
हटायें,
छाया
अंधेरा जो
उसको
मिटायें...

Thursday, December 3, 2009

मेरे हिस्से का आस्मान

इस
ब्रहमाण्ड का
हर जीव
हिस्सेदार है,
क़ायनात के
पूर्ण फैलाव का
हर कोई
हक़दार है,
हाथ की रेखायें
चाहे कुछ भी
कहती हों,
क़दमों तले
ज़मीन
चाहे खिसकती
या फिसलती हो,
वक़्त का तकाज़ा है
कि मुझको
मेरे हिस्से का
आस्मान चाहिये,
फूलों खिला हो
या काँटों भरा
मुझको बस
अपना
ग़ुलिस्तान चाहिये...