Sunday, March 25, 2012

आल सीजन टायर

आल सीज़न टायर जैसे हम
घिसते रहते सड़कों पे हरदम

चलते रहना आदत है पड़ गई
थकने का अब नाम न जाने हम

सर्दी गर्मी बारिश या तूफ़ान
तन पे झेलें हम सारे मौसम

चाहे जितने सुख-दुख राहों में
गाते रहते जीवन की सरगम

गिनती के दिन होते टायर के
घबराते ना उससे फिर भी हम

तेरे हाथ में है चाभी अपनी
जिधर चलाते चल ही पड़ते हम

ड्राईवर मेरे तुम हो तो हमको
ना ही डर है ना ही कोई ग़म

ज्यों-ज्यों चलते घटता है जीवन
बदल ही देना जब जी चाहे तुम....

No comments:

Post a Comment