Sunday, July 3, 2011

दुनिया इक जमघट है

दुनिया इक जमघट है,रिश्तों की दलदल है
जीवन हर उलझन है,आपस की छलबल है

सपनों के मरघट हैं,ऐसा ये जंगल है
भागमभाग है हर सू,पल पल की दंगल है

निद्रा को तरसे है,हरदम मन भटके है
सांसों की डोरी में, कोई ना कस बल है

माना उसकी राहें,सीधी औ सच्ची है
जायेंगे पर कैसे, दिल में ना हलचल है

जब तक नैना चमके,जब तक दिल है धड़के
तब तक सब है वर्ना,माटी में घुलमिल है

1 comment:

  1. क्षण भंगुर जीवन की विद्रूपताओं एवं झंझावातों को चित्रित करती ..........अच्छी रचना

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