जुदा तुमसे रहूँ मैं इक घड़ी ये हो नहीं सकता
अगर ऐसा हुआ तो फिर कभी मैं सो नहीं सकता
न जाने किस दुआ बदले ख़ुदा ने तुझको भेजा है
मुझे लगता जो देखे ख़्वाब थे उनका नतीजा है
क़सम तेरी किसी कीमत तुझे अब खो नहीं सकता
ज़रा सा दूर भी जाओ तो मेरा दिल धड़कता है
रहो नज़दीक मेरे हर घड़ी हर पल ये कहता है
कभी मैं सोचता भी वो नहीं, जो हो नहीं सकता
मुहब्बत एक ख़ुशबू है कभी जो मिट नहीं सकती
जवां रहती ये सदियों तक दिलों से हट नहीं सकती
मुहब्बत के बराबर तो कोई भी हो नहीं सकता
जुदा तुमसे रहूँ मैं इक घड़ी ये हो नहीं सकता.....
Tuesday, November 8, 2011
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