गुज़र गये इस जहां से हम तो जहां ये फिर भी चला करेगा
कभी न रुकता, कभी न थमता वक़्त का दरिया बहा करेगा
ले सांस में सांस जो हैं कहते, संग जियेंगे संग मरेंगे
हुआ कभी ना किसी जनम जो,वो कल भी ना हुआ करेगा
रिश्तों का ब्योपार बना जग,कभी मुनाफ़ा कभी है घाटा
ख़ुदा ही जाने ख़ुदा ही समझे ऐसा कब तक चला करेगा
प्यार मुहब्बत हुये अनोखे,कहीं वफ़ा तो कहीं हैं धोके
नये वक़्त में प्यार की ख़ातिर अब न कोई मिटा करेगा
कोई किसी के संग मरे ना,मरे तो निर्मल आप मरे बस
किया बुरा है जहां में जिसने वही तो आख़िर भरा करेगा
Monday, June 13, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment