Sunday, January 4, 2009

मैं मुम्ब‍ई हूँ

मैं मुम्ब‍ई हूँ (मुम्बई हमले से प्रभावित)

खुशियों का समुन्दर मेरा हुआ दर्द में तब्दील
किसको दिखाऊँ अब मैं ग़म की फ़ेहरिस्त तवील
ज़र्रा ज़र्रा हुआ है घायल रेशा रेशा है ग़मगीन
चप्पे चप्पे आग बरसती आँसू बन गये झील
हब्स के घेरे में घिरके मैं आज बनी तमाशई हूँ
मैं मुम्ब‍ई हूँ , मैं मुम्ब‍ई हूँ , मैं मुम्ब‍ई हूँ

अपने ही जिगर के टुकड़ों को आज बिछ्ड़ते देखा
अपने ही सीने पर दुश्मन को बारूद उग़लते देख
खूं से रंगा है जिस्म मेरा हुआ है छ्लनी दिल मेरा
बग़ैर क़फ़न के बेटों को क़ब्रों में उतरते देखा
दर्द की कितनी ही तहों से मैं आज गुज़र गई हूँ
मैं मुम्बई हूँ, मैं मुम्बई हूँ, मैं मुम्बई हूँ


मुझको हिस्सों हिस्सों में, ओ ज़ालिम, काटने वालों
अनगिनत टुकडों में मुझे तुम आज बांटने वालों
मेरी आंखों का नूर मेरे दिल का सुरूर छीनने वालों
मतलब की ख़ातिर तलवे विदेशों के चाटने वालों
जान लो सब, उजड़ के दोबारा हर बार ही मैं बस गई हूँ
मैं मुम्बई हूँ, मैं मुम्बई हूँ, मैं मुम्बई हूँ

बेगुनाहों का लहू जब सर चढ़के तुम्हारे बोलेगा
याद रहे तुम्हारी माँओं का कलेजा भी उस दिन डोलेगा
अर्श से बरसेंगे जब इंतक़ाम के गहरे बादल
हर जुर्म तुम्हारा, वक़्त अपनी तराजू में तोलेगा
कल चलूंगी रफ़्तार से अपनी आज सिमट गई हूँ
मैं मुम्बई हूँ, मैं मुम्बई हूँ, मैं मुम्बई हूँ

ये उजड़े हुये ढाँचे तो फिर से खड़े हो जायेंगे
दिल पे लगे घाव मगर एक दिन रंग तो लायेंगे
क़त्ल को जायज़ और क़ातिल को पनाह देने वाले
रब की अदालत से भी बच न कभी वो पायेंगे
जान लो सब, न मैं न्यूयार्क, न मैं लंदन, न ही मैं शंघाई हूँ
मैं मुम्बई हूँ, मैं मुम्बई हूँ, मैं मुम्बई हूँ, मैं मुम्बई हूँ.....

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