आपने अगर युं न मुस्कुराया होता
रेत का महल हमने न बनाया होता
दिल की वादियों में गीत न गूंजे होते
हर घड़ी आपको न गुनगुनाया होता
आंखों में नींद अब युं न चुभती अपनी
इनमें ख़्वाबों को गर न बसाया होता
दिल की कली सूख न जाती इस तरह
उम्मीद का कमल न मुरझाया होता
दुनिया निर्मल की रहती रौशन सदा
चिराग़े मुहब्ब्त जो न बुझाया होता
Tuesday, January 13, 2009
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वाह!! बहुत खूब निर्मल जी!! आनन्द आ गया.
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