Friday, March 13, 2009

शोर न मचाओ

आने वाला है मेरा महबूब, शोर न मचाओ
राज़ की एक बात है बताई, शोर न मचाओ

आवाज़ों का हुजूम देख कहीं भड़क न जाये
ख़ुद को रखो ज़रा संभाल, शोर न मचाओ

मालूम नहीं किस राह से है वो आने वाला
चुपचाप बस देखते जाओ, शोर न मचाओ

फिर से न कहीं तड़प उट्ठे मेरा दर्दे दिल
अभी-अभी आँख है लगी, शोर न मचाओ

तन्हाई और ख़ामोशी का बेहद शौकीन है वो
तन्हा सी मह्फ़िल सजाओ, शोर न मचाओ

शोरोग़ुल कभी मुफ़ीद नहीं सेहत के लिये
सेहत को न दाँव पे लगाओ, शोर न मचाओ

ख़ामोश रहे तो दस्तक उसकी सुन ही लोगे
आयेगा वो मौसम ज़रूर, शोर न मचाओ

शोर जो मचाया तो ख़ुद का होगा इख़्तमाम
तमहीद का दामन न छोड़ो, शोर न मचाओ

वक्त के माथे पे होगा, नाम तुम्हारा इक दिन
क्यों देते हो वक्त की दुहाई, शोर न मचाओ

तमन्नाओं का मचलना, ख़्वाहिशों का उबलना
इन्हें ख़ामोशी की ज़द में लाओ, शोर न मचाओ

न रखो तुम फ़िरदौस की आरज़ू किसी दम
जिस्म को जन्नत बनाओ, शोर न मचाओ

ज़रा-ज़रा सी मुश्किल पे यूं तड़पा न करो
दर्द को गले लगाओ निर्मल, शोर न मचाओ

1 comment:

  1. तन्हाई और ख़ामोशी का बेहद शौकीन है वो
    तन्हा सी मह्फ़िल सजाओ, शोर न मचाओ


    -बहुत खूब!!

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