जीवन का सफ़र
कब किस तरफ़
मुड़ जाये,
कौन किससे
कहाँ मिल जाये
और कौन किससे
कहाँ बिछड़ जाये,
अनिश्चित सा, अनिर्मित सा
अपरिचित सा, आशंकित सा,
कहाँ न जाने
क्या लॉक हो जाये,
कहाँ न जाने क्या
ब्लॉक हो जाये,
कौन कब
हिट हो जाये
कौन कब
चित हो जाये,
ऐसा क्यूं है?
पूरब-पश्चिम, उत्तर-दक्खिन
ऊपर-नीचे, अंदर-बाहर
हर तरफ़
सवाल-ही-सवाल,
उत्तर ग़ुम, जवाब लापता
चलता नहीं ’उसका’ पता,
बस,
सन्नाटा ही तारी है
’उसकी’
तलाश अभी जारी है.......
Monday, March 30, 2009
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समझ सके तो समझ जिन्दगी की उलझन को।
ReplyDeleteसवाल उतने नहीं हैं जबाव हैं जितने।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com