दिल अपना दीवाना है
इसने तुझको पाना है
सोच रहा है कबसे ये
इक हमराज़ बनाना है
बहकी-बहकी बातें हैं
बहका हर अफ़साना है
तोड़ सितारा आस्मां का
धरती पर ले आना है
सपने सारे पूरे होंगे
पास तुझे जब लाना है
मिल जायें सितारे अपने जो
तेरा साथ निभाना है
आना-जाना सुख-दुख का
क़िस्मत का नज़राना है
दरिया सोच के बहते हैं
सपना सच हो जाना है
झांको तुम मत इधर-उधर
संग तेरे पैमाना है
मानो निर्मल की वर्ना
उसने चलते जाना है
Tuesday, March 10, 2009
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बहुत बढ़िया, निर्मल जी!!
ReplyDelete-सादर
समीर लाल
http://udantashtari.blogspot.com/