Sunday, October 30, 2011

ज़िन्दगी में कभी रोते को हंसा कर देखो

ज़िन्दगी में कभी रोते को हंसा कर देखो
अपने रूठे हुये दोस्त को मना कर देखो

फ़लसफ़ा सब ये समझ में आ जायेगा तेरे
इक मुहब्बत का दीया दिल में जगा कर देखो

इन असूलों ने तो बर्बाद किया कितनों को
है मज़ा तब, कभी गिरतों को उठा कर देखो

किस क़दर फैल गया है ये जुनूने मजहब
अपने चारो तरफ़ नज़रें तो उठा कर देखो

दूर हो जायेंगे सब फ़ासले जो तुम चाहो
ज़िन्दगी गीत है उल्फ़त का इसे गा कर देखो

कोई कितना भी हो संगदिल वो पिघल जाता है
बस ज़रा आँख से तुम आँख मिला कर देखो

कौन कहता है ख़ुदा दूर बहुत है तुमसे
पास है तेरे वो आवाज़ लगा कर देखो

हर तमन्ना तेरी हो जायेगी पूरी निर्मल
घर फ़कीरों के कभी तुम ज़रा जाकर देखो

8 comments:

  1. वाह ...बहुत खूब ..बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  2. कौन कहता है ख़ुदा दूर बहुत है तुमसे
    पास है तेरे वो आवाज़ लगा कर देखो
    वाह!

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  3. शानदार ग़ज़ल !

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  4. बहुत खूबसूरत गज़ल....
    सादर बधाई...

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  5. Bahut khubsurat gazal bahut-2 badhai....

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  6. हर तमन्ना तेरी हो जायेगी पूरी निर्मल
    घर फ़कीरों के क
    भी तुम ज़रा जाकर देखो
    बहुत अच्छी ग़ज़ल .अच्छे अशआर तमाम .

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