ज़िन्दगी में कभी रोते को हंसा कर देखो
अपने रूठे हुये दोस्त को मना कर देखो
फ़लसफ़ा सब ये समझ में आ जायेगा तेरे
इक मुहब्बत का दीया दिल में जगा कर देखो
इन असूलों ने तो बर्बाद किया कितनों को
है मज़ा तब, कभी गिरतों को उठा कर देखो
किस क़दर फैल गया है ये जुनूने मजहब
अपने चारो तरफ़ नज़रें तो उठा कर देखो
दूर हो जायेंगे सब फ़ासले जो तुम चाहो
ज़िन्दगी गीत है उल्फ़त का इसे गा कर देखो
कोई कितना भी हो संगदिल वो पिघल जाता है
बस ज़रा आँख से तुम आँख मिला कर देखो
कौन कहता है ख़ुदा दूर बहुत है तुमसे
पास है तेरे वो आवाज़ लगा कर देखो
हर तमन्ना तेरी हो जायेगी पूरी निर्मल
घर फ़कीरों के कभी तुम ज़रा जाकर देखो
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वाह ...बहुत खूब ..बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गज़ल ..
ReplyDeleteकौन कहता है ख़ुदा दूर बहुत है तुमसे
ReplyDeleteपास है तेरे वो आवाज़ लगा कर देखो
वाह!
शानदार ग़ज़ल !
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गज़ल....
ReplyDeleteसादर बधाई...
Bahut khubsurat gazal bahut-2 badhai....
ReplyDeleteहर तमन्ना तेरी हो जायेगी पूरी निर्मल
ReplyDeleteघर फ़कीरों के क
भी तुम ज़रा जाकर देखो
बहुत अच्छी ग़ज़ल .अच्छे अशआर तमाम .
Aap sabon ka bahut bahut dhanyavad meri himmat afzaee ka.ek bar phir shukria...
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