Sunday, July 12, 2009

ज़िन्दगी इम्तिहान है

ज़िन्दगी इम्तिहान है यारा
फ़लसफ़ों की दुकान है यारा

चाहे कुछ भी ख़रीद कर देखें
ज़ख़्मों के सब निशान है यारा

चुभते हैं हर घड़ी ये रिश्ते बन
दाग़ ये बेज़ुबान है यारा

बातें इसकी अजीब होती है
बस ये कड़वी ज़ुबान है यारा

लोग मिलते बिछड़ते जाते हैं
आते-जाते तुफ़ान है यारा

दिल से जो निकले ठीक होता है
रूह की, दिल ज़ुबान है यारा

हर क़दम हार-जीत होती है
जाने कैसी ये शान है यारा

पांव नीचे ज़मीं तो है, फिर भी
हाथ में आसमान है यारा

पा के खोते कि खो के पाते हैं
कर्मों की आन-बान है यारा

हैं यहाँ अब, तो कल कहाँ होंगे
बदलते आशियान है यारा

करते हो नाज़ इस जिस्म पे तुम
ये तो कच्चा मकान है यारा

पूछना है बेकार निर्मल से
वो, गई दास्तान है यारा

5 comments:

  1. चाहे कुछ भी ख़रीद कर देखें
    ज़ख़्मों के सब निशान है यारा

    बहुत खूब।

    हाल कहता मुस्कुरा के पर कहानी और है
    जिन्दगी के फलसफे की तर्जुमानी और है

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. करते हो नाज़ इस जिस्म पे तुम
    ये तो कच्चा मकान है यारा

    सलाम करता हूँ जनाब...

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  3. hume aap ki bahut si gazal pasand aayee nirmal
    iske liye shukrguzar hai hum aap ke
    shubh ratri

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