ज़िन्दगी इम्तिहान है यारा
फ़लसफ़ों की दुकान है यारा
चाहे कुछ भी ख़रीद कर देखें
ज़ख़्मों के सब निशान है यारा
चुभते हैं हर घड़ी ये रिश्ते बन
दाग़ ये बेज़ुबान है यारा
बातें इसकी अजीब होती है
बस ये कड़वी ज़ुबान है यारा
लोग मिलते बिछड़ते जाते हैं
आते-जाते तुफ़ान है यारा
दिल से जो निकले ठीक होता है
रूह की, दिल ज़ुबान है यारा
हर क़दम हार-जीत होती है
जाने कैसी ये शान है यारा
पांव नीचे ज़मीं तो है, फिर भी
हाथ में आसमान है यारा
पा के खोते कि खो के पाते हैं
कर्मों की आन-बान है यारा
हैं यहाँ अब, तो कल कहाँ होंगे
बदलते आशियान है यारा
करते हो नाज़ इस जिस्म पे तुम
ये तो कच्चा मकान है यारा
पूछना है बेकार निर्मल से
वो, गई दास्तान है यारा
Sunday, July 12, 2009
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चाहे कुछ भी ख़रीद कर देखें
ReplyDeleteज़ख़्मों के सब निशान है यारा
बहुत खूब।
हाल कहता मुस्कुरा के पर कहानी और है
जिन्दगी के फलसफे की तर्जुमानी और है
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
करते हो नाज़ इस जिस्म पे तुम
ReplyDeleteये तो कच्चा मकान है यारा
सलाम करता हूँ जनाब...
bahut hi badhiya .........atisundar
ReplyDeletesuperb
ReplyDeletehume aap ki bahut si gazal pasand aayee nirmal
ReplyDeleteiske liye shukrguzar hai hum aap ke
shubh ratri