Sunday, July 19, 2009

ज़िन्दगी को बहुत ही सहारा होता

ज़िन्दगी को बहुत ही सहारा होता
दोस्त मेरे, तू जो गर हमारा होता

हर तरफ़ फूल ही फूल बिखरे होते
हर तरफ़ ख़ूबसूरत नज़ारा होता

ये वक्त बेवफ़ाई न करता अगर
साथ हमने ये जीवन गुज़ारा होता

आरज़ू की शमा बुझ न जाती युं ही
चमकता मुक़द्दर का सितारा होता

रहते आबाद मेरे दोनों ही जहां
जो तेरी इक नज़र का इशारा होता

साथ तेरा नहीं छोड़ते हम कभी
गर तेरी बेरुख़ी ने न मारा होता

सोचते-सोचते आ गया दूर मैं
काश, तूने मुझे फिर पुकारा होता

तुमने छोड़ा जहाँ, मैं खड़ा हूँ वहीं
तूने मुड़ कर, देखा तो दोबारा होता

डगमगाती न ये कश्तिये ज़िन्दगी
मिल गया मेरे दिल को किनारा होता

जीत कर, हार जाते न हम इस तरह
खेल अपने इश्क़ का न सारा होता

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