Friday, October 21, 2011

दीपावली के अवसर पर एक तरही ग़जल

दीप ख़ुशियों के जल उठे हर सू
रात, दिन बन गई लगे हर सू

जगमगाने लगा शहर कुछ यूं
कि चमक ही चमक दिखे हर सू

बाद मुद्दत के हो रही हलचल
अब नगर में मेले लगे हर सू

है चमकता सितारों सा हर घर
जोत से जोत जब जगे हर सू

शोर है मच रहा पटाख़ों का
यूं नदी जोश की बहे हर सू

गुनगुनाता रहे चमन सारा
प्यार की बात ही चले हर सू

दूर दुनिया से ग़म हो जायें गर
गीत उल्फ़त का बज उठे हर सू

मुस्कुराते हुये वो आये जब
यूं लगा फूल हैं खिले हर सू

ज़िन्दगी मौज में गुज़र जाये
वो चलें साथ जो मिरे हर सू

प्यार को तेरे कोई ना समझे
तू तो निर्मल यूं ही बिके हर सू

1 comment:

  1. Nirmal ji,

    Bahut sunder rachna hai...aap ko bhi Deepawali ki bahut saree shubhkamnayein

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