Tuesday, December 15, 2009

रहमत ख़ुदा की

ये रहमत ख़ुदा की अगर कम हो जाये
तो समझो ये दुनिया जहन्नम हो जाये

वो चाहे तो हर आग शबनम हो जाये
वे चाहे तो हर रात पूनम हो जाये

रोशन हैं फ़कत सब तन्वीरे ख़ुदा से
वो ना हो तो सब कुछ दर्दे ग़म हो जाये

नज़र उसकी पड़ती हो जब जिसपे सीधी
तो हर ग़म ख़ुशी का तरन्न्म हो जाये

ये पैकर हमारा इनायत उसी की
मुहब्ब्त से उसकी हमीं हम हो जाये

ज़माना ये चलता है चालें अजब सी
मगर जब वो बोले तो सब नम हो जाये

जो उसका नहीं है वो उसका भी दोस्त
जो उसका है उसका वो हमदम हो जाये

तड़पता है निर्मल भी हरदम उसी को
वो फ़ुरकत में उसकी न बेदम हो जाये

3 comments:

  1. जो उसका नहीं है वो उसका भी दोस्त
    जो उसका है उसका वो हमदम हो जाये

    -बहुत खूब!! वाह!

    ReplyDelete
  2. जो उसका नहीं है वो उसका भी दोस्त
    जो उसका है उसका वो हमदम हो जाये

    सुन्दर।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

    ReplyDelete
  3. वाह! बहुत बढिया रचना है बधाई।
    बहुत बढ़िया लिखा है.......

    ये रहमत ख़ुदा की अगर कम हो जाये
    तो समझो ये दुनिया जहन्नम हो जाये

    ReplyDelete