Sunday, June 7, 2009

प्यार का रंग न बदला

जग बदला है
मौसम बदला
क़ुदरत का हर
पहलू बदला,
मगर, प्यार का
रंग न बदला.....

आज भी पंछी
जब हैं गाते
बात प्रेम की
वो समझाते,
झर-झर झरने
जब हैं बहते
गीत प्रीत के
वो भी गाते,

जिधर भी देखो
सब-कुछ बदला
जीने का हर
ढंग है बदला,
मगर, प्यार का
रंग न बदला.....

पुष्प प्रेम के
जब हैं खिलते
तन-मन इक-
दूजे से मिलते,
प्रीत की ख़ुशबू
सुध-बुध खोये
जब संदेश
दिलों के मिलते,

तन के कितने
रूप हैं बदले
मन का रूप
भी बदला,
मगर, प्यार का
रंग न बदला.....

प्यार बिना कोई
बात बने न
प्यार बिना इक
रात कटे न,
प्यार ख़ुदा का
नूर है ऐसा
इक पल भी जो
दूर हटे न,

इन्सा ने चेहरा
तो बदला
चेहरे का हर
अंग है बदला,
मगर, प्यार का
रंग न बदला.....

प्यार बदल
गर जायेगा
जग में क्या
रह जायेगा,
आस की कलियां
मुरझायेंगी
ख़्वाब सुहाना
मर जायेगा,

दौर पुराना
वक्त का बदला
सबका तौर-
तरीका बदला,
मगर, प्यार का
रंग न बदला

जग बदला है
मौसम बदला
क़ुदरत का हर
पहलू बदला,
मगर, प्यार का
रंग न बदला.....

1 comment:

  1. bahut badhiyaa Nirmal ji, yah kavita se adhik geet lagataa hai..bahut saral par saccha geet..

    pichli gazal bhi badhiyaa lagai..

    shubhkamanayen..
    shailja

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