ख़ुद को हमसे जो दूर रखा
हम को कितना मजबूर रखा
तो भी हमने दिल में अपने
रोशन चाहत का नूर रखा
अपनी बातें तू ही जाने
ऐसा तूने दस्तूर रखा
किससे बोलें दिल की बातें
इस दिल में तो नासूर रखा
ये कैसा दीवानापन है
दिन रात नशे में चूर रखा
पागल निर्मल बोले, दिल में
बस तेरा नाम ज़रूर रखा
Friday, June 12, 2009
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waah
ReplyDeletewaah
bahut bahut bahut khubsoorat hai aapkee rachnaaye
ReplyDelete........shidhe dil tak pahuchati hai