भरा है दिल भरी हैं आँखे, जायें तो कहाँ जायें
न हैं अपने न ही बेगाने, जायें तो कहाँ जायें
कभी जिनके लिये था, हमने छोड़ा ये जहां सारा
नज़र वो अब नहीं हैं आते, जायें तो कहाँ जायें
सिवा अन्धेरे के कुछ भी नहीं है दिल के आंगन में
बची क़िस्मत में तन्हा रातें, जायें तो कहाँ जायें
किसी बाज़ार में मिलता नहीं ये प्यार का तुहफ़ा
बता दे कोई इसको पाने, जायें तो कहाँ जायें
बदल के रख दिया उस बेवफ़ा ने दिल मुहब्बत का
सुनाने दिल के ये अफ़साने, जायें तो कहाँ जायें
कटेंगे किस तरह दिन ज़िन्दगी के अब तेरे निर्मल
ग़मे फ़ुरकत में दिल बहलाने, जायें तो कहाँ जायें
Sunday, June 28, 2009
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आप बहुत अच्छा लिकते हैं
ReplyDeleteकिसी बाज़ार में मिलता नहीं ये प्यार का तुहफ़ा
ReplyDeleteबता दे कोई इसको पाने, जायें तो कहाँ जाये
आज के तारिख मेकुछ भी नही बिना चुकाये ...................सही है जाये तो कहा जाये
किसी बाज़ार में मिलता नहीं ये प्यार का तुहफ़ा
ReplyDeleteबता दे कोई इसको पाने, जायें तो कहाँ जायें
--बहुत सुन्दर!! बेहतरीन भाव!!
गजल का मक्ता तो कहर ढा रहा है
ReplyDeleteबहुत खूब
वीनस केसरी
बहुत सुन्दर गजल.
ReplyDeleteकटेंगे किस तरह दिन ज़िन्दगी के अब तेरे निर्मल
ReplyDeleteग़मे फ़ुरकत में दिल बहलाने, जायें तो कहाँ जायें
वाह-वाह!
फुरकत का अर्थ बताएं अगर...
तोहफा को तुहफा लिखना मानी है?