(दीवाली की अनेकों-अनेक शुभकामनाओं सहित)
दीयों की
बारात सजी है
झूमे सब-के-सब
घर-बार,
बाद बरस के
आया देखो
ये पावन
त्योहार,
ख़ुशियों की
फुलझरियाँ छूटें
मन में आस के
लड्डू फूटें,
आस्मान तक
हुआ है रोशन
ग़म न बचा अब
किसी भी तन-मन,
जगमग जगमग
होने लग गया
ये सारा
संसार
उपहारों ने
ज़ोर है पकड़ा
मुस्कानों का
रंग है गहरा,
रूठे थे जो
मान चले हैं
झगड़े थे जो
गले मिले हैं,
दीप जगे हैं
नयनों में और
दिल में चले
अनार
भीनी-भीनी
ख़ुशबू महकी
रंग-बिरंगी
लड़ियां लटकीं,
धूम-धड़क्का
होती जाती
आतिशबाज़ी
चढ़ती जाती,
नई-नवेली
दुल्हन सा फिर
सज गया
रूप-सिंगार
त्योहारों का
आता मौसम
सुख अपने संग
लाता मौसम,
कैसा भी बनवास
हो यारा
ख़त्म हो जाये
इक दिन सारा,
हुआ उजाला
दिल-दिल में
अब गिरने लगी
दीवार
बाद बरस के
आया देखो
ये पावन
त्योहार...
Wednesday, October 14, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Adaraniiya Nirmal jii,
ReplyDeleteDeepavali kaa bahut saral,sahaj evam rochak varnan kiyaa hai aapne.Apko bhee Deepavali kee hardik mangalkamnayen.
Poonam