कहानियाँ
आती कहीं से हैं
तो कहानियाँ
जाती कहीं पे हैं,
कहानियाँ
गढ़ी जाती हैं
न जाने कहाँ
कहानियाँ
मगर
पढ़ी जाती हैं यहाँ,
कहानियाँ
बनती तो हैं
बहुतों की
कहानियाँ
पर बिगड़ती भी हैं
बहुतों की,
कहानियाँ
कभी सुन्दर
मनचाही व दीवानी सी
कहानियाँ
कभी उबाऊ
नीरस औ बेमानी सी,
कहानियाँ
रचता है
जो कोई भी
कहानियाँ
कभी सुनता न
वो कोई भी,
कहानियाँ
सांसों की
रफ़्तार है कि
कहानियाँ
रेखाओं का
चमत्कार है,
कहानियाँ
भावनाओं के
वलवले हैं कि
कहानियाँ
क्रोध औ नफ़रत के
ज़लज़ले हैं,
कहानियाँ
शारीरिक परिश्रम
के नतीजे हैं कि
कहानियाँ
बस रूहानी
अजूबे हैं,
कहानियाँ तो
बस अनबूझ
पहेली होती हैं
कहानियाँ तो
अनदेखी पर
अलबेली होती हैं,
कहानियाँ
यूं ही उतरती
रहेंगी जब तक
कहानियाँ किताबों में
यूं ही सिमटती
रहेंगी तब तक...
Friday, August 12, 2011
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