दोस्ती गीत है गुनगुनाने के लिये
दोस्ती ग़ज़ल है इक सुनाने के लिये
ये वो अज़ीम शय है ख़ुदा की जिसे
हौसला और क़िरदार चाहिये निभाने के लिये,
लबों का तबस्सुम है ये, दिलों का सुकून है ये
जज़्बों का लेन-देन तो मुहब्बत का मजमून है ये
कि दोस्ती होती नहीं महज़ वक़्त बिताने के लिये
दोस्त गर साथ है तो डर नहीं तल्ख़ हवाओं का
ग़म नहीं ज़रा भी होता गहरी काली घटाओं का
हर कोशिश कीजिये इक अच्छा दोस्त बनाने के लिये
दोस्त की बातों से हर मौसम ख़ुशगवार हो जाता
सहरा में भी साथ उसके जश्ने-बहार हो जाता
कि दोस्त होते ही हैं इक दूजे पे मिट जाने के लिये
मगर ये वो फूल है जो हर शाख़ पे खिलता नहीं
मिल तो जाते हैं बहुत पर दोस्त कभी मिलता नहीं
ख़ूने जिगर चाहिये, ये ख़ुशबूये रूह पाने के लिये
Tuesday, April 19, 2011
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आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (21-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
सुन्दर अभिव्यक्ति दोस्ती के नाम
ReplyDeletepriy shreshthh,
ReplyDeletepahali bar padha ,sundar bhavnaon ka dariya pravahit hai , gatiman rahana chahiye . sundar shabd -chayan . badhyi ji
मगर ये वो फूल है जो हर शाख़ पे खिलता नहीं
ReplyDeleteमिल तो जाते हैं बहुत पर दोस्त कभी मिलता नहीं
bahut achchi rachna dosti par.
dosti ko dedicated karti ek bahut sunder rachna.
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