Tuesday, April 19, 2011

दोस्ती

दोस्ती गीत है गुनगुनाने के लिये
दोस्ती ग़ज़ल है इक सुनाने के लिये
ये वो अज़ीम शय है ख़ुदा की जिसे
हौसला और क़िरदार चाहिये निभाने के लिये,

लबों का तबस्सुम है ये, दिलों का सुकून है ये
जज़्बों का लेन-देन तो मुहब्बत का मजमून है ये
कि दोस्ती होती नहीं महज़ वक़्त बिताने के लिये

दोस्त गर साथ है तो डर नहीं तल्ख़ हवाओं का
ग़म नहीं ज़रा भी होता गहरी काली घटाओं का
हर कोशिश कीजिये इक अच्छा दोस्त बनाने के लिये

दोस्त की बातों से हर मौसम ख़ुशगवार हो जाता
सहरा में भी साथ उसके जश्ने-बहार हो जाता
कि दोस्त होते ही हैं इक दूजे पे मिट जाने के लिये

मगर ये वो फूल है जो हर शाख़ पे खिलता नहीं
मिल तो जाते हैं बहुत पर दोस्त कभी मिलता नहीं
ख़ूने जिगर चाहिये, ये ख़ुशबूये रूह पाने के लिये

5 comments:

  1. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (21-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  2. सुन्दर अभिव्यक्ति दोस्ती के नाम

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  3. priy shreshthh,
    pahali bar padha ,sundar bhavnaon ka dariya pravahit hai , gatiman rahana chahiye . sundar shabd -chayan . badhyi ji

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  4. मगर ये वो फूल है जो हर शाख़ पे खिलता नहीं
    मिल तो जाते हैं बहुत पर दोस्त कभी मिलता नहीं
    bahut achchi rachna dosti par.

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