कोई तो ऐसा हो जो समझे
मुझको जग में अपना
कोई तो ऐसा हो जोचाहे
दिल मेरे में बसना...
आँखों का बस नूर बने वो
बने भोर का तारा,
क़दमों की बस चाल बने वो
बने लहु का धारा,
कोई तो ऐसा हो जो कर दे
शीतल मेरा तपना...
प्यार के रिश्ते में बंध पाऊँ
ऐसी न तक़दीर रही,
ना ही रांझा बन पाया मैं
ना ही कोई हीर रही,
कोई तो ऐसा हो जो पूछे
प्रेम-प्याला चखना ?
जीवन यूं ही लुढ़क चला अब
जैसे हो कच्चा कोठा,
भागे-भागे उम्र है भागी
रहा मुक़द्दर सोता,
कोई तो ऐसा हो जो बोले
संग तेरे मैं चलना...
दूर बादलों के आंगन जा
अपना महल बनाऊँ,
अपने मन की लेकर कलियां
उसको रोज़ सजाऊँ,
कोई तो ऐसा हो जो कर दे
पूरा मेरा सपना...
सरगम बिन संगीत बहे ना
न धड़के गीत का सीना,
बोल मीत के साथ नहीं तो
मरण बराबर जीना,
कोई तो ऐसा हो जो कह दे
नाम तेरा ही जपना...
Saturday, October 16, 2010
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सुन्दर, सरस और सरल...!!
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