ये रहमत ख़ुदा की अगर कम हो जाये
तो समझो ये दुनिया जहन्नम हो जाये
वो चाहे तो हर आग शबनम हो जाये
वे चाहे तो हर रात पूनम हो जाये
रोशन हैं फ़कत सब तन्वीरे ख़ुदा से
वो ना हो तो सब कुछ दर्दे ग़म हो जाये
नज़र उसकी पड़ती हो जब जिसपे सीधी
तो हर ग़म ख़ुशी का तरन्न्म हो जाये
ये पैकर हमारा इनायत उसी की
मुहब्ब्त से उसकी हमीं हम हो जाये
ज़माना ये चलता है चालें अजब सी
मगर जब वो बोले तो सब नम हो जाये
जो उसका नहीं है वो उसका भी दोस्त
जो उसका है उसका वो हमदम हो जाये
तड़पता है निर्मल भी हरदम उसी को
वो फ़ुरकत में उसकी न बेदम हो जाये
Tuesday, December 15, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
जो उसका नहीं है वो उसका भी दोस्त
ReplyDeleteजो उसका है उसका वो हमदम हो जाये
-बहुत खूब!! वाह!
जो उसका नहीं है वो उसका भी दोस्त
ReplyDeleteजो उसका है उसका वो हमदम हो जाये
सुन्दर।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
वाह! बहुत बढिया रचना है बधाई।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है.......
ये रहमत ख़ुदा की अगर कम हो जाये
तो समझो ये दुनिया जहन्नम हो जाये