नव वर्ष की सबों को
बधाई हो बधाई,
सुहानी भोर अपने संग
सूरज आस का है लाई,
बीते पल और
बीती बातें
सुख के दिन या
ग़म की रातें,
पीछे छोड़
सबको अब
चली नई फिर से
पुरवाई
अपने ख़्वाबों के
ख़ुदा से सुन
मांगता क्यों
हर घड़ी हर क्षण,
रास्तों पे
चल के देख
कली दिल की
मुस्कुराई,
तुम बीज प्रेम के
बिखेर दो
दिल पे लिखा ये
संदेश देख लो,
हर पंखुड़ी हसीन
नव धरा पे
खिल रही
है भाई,
नव वर्ष की
बधाई हो
बधाई...
Tuesday, December 29, 2009
Sunday, December 27, 2009
अचानक
अचानक मेरे दिल को क्या हो गया है
अभी तो यहीं था कहाँ खो गया है
कि बैठा था मैं तो तेरी जुस्तजू में
न जाने ये गुमसुम किधर को गया है
मेरे साथ होता है हरदम यही क्यों
तेरी ओर आऊँ तो ये खो गया है
तेरी आरज़ू अब मेरी ज़िन्दगी है
जहां में भटकते कहाँ खो गया है
तेरे प्यार के गीत हरदम सुनूँ मैं
तेरा नाम अब दिलरुबा हो गया है
ये निर्मल तुम्हारे करम का नतीजा
कि मेरे गुनाहों को कुछ धो गया है
अभी तो यहीं था कहाँ खो गया है
कि बैठा था मैं तो तेरी जुस्तजू में
न जाने ये गुमसुम किधर को गया है
मेरे साथ होता है हरदम यही क्यों
तेरी ओर आऊँ तो ये खो गया है
तेरी आरज़ू अब मेरी ज़िन्दगी है
जहां में भटकते कहाँ खो गया है
तेरे प्यार के गीत हरदम सुनूँ मैं
तेरा नाम अब दिलरुबा हो गया है
ये निर्मल तुम्हारे करम का नतीजा
कि मेरे गुनाहों को कुछ धो गया है
Tuesday, December 22, 2009
अफ़साने मुहब्बत के
मुहब्बत के अफ़साने बनते रहेंगे
दिलों के ये क़िस्से युं चलते रहेंगे
न दिल वाले बदले न बदला ज़माना
ख़िलाफ़त हमेशा ये करते रहेंगे
कोई चाहे कितनी भी ताक़त दिखाये
दिये पर मुहब्बत के जलते रहेंगे
वो जिनके मुक़द्दर में होगी न उल्फ़त
तो समझो कि वो युं ही मरते रहेंगे
मगर जिन दिलों में मुहब्बत की ख़ुशबू
क़दम उनके मंज़िल को उठते रहेंगे
इश्क़ इक प्यारी सी रहमत ख़ुदा की
ये संग हो तो हम आगे बढ़ते रहेंगे
बता दे हमें ज़ुल्म कब तक युं निर्मल
मुहब्बत के दीवाने सहते रहेंगे
दिलों के ये क़िस्से युं चलते रहेंगे
न दिल वाले बदले न बदला ज़माना
ख़िलाफ़त हमेशा ये करते रहेंगे
कोई चाहे कितनी भी ताक़त दिखाये
दिये पर मुहब्बत के जलते रहेंगे
वो जिनके मुक़द्दर में होगी न उल्फ़त
तो समझो कि वो युं ही मरते रहेंगे
मगर जिन दिलों में मुहब्बत की ख़ुशबू
क़दम उनके मंज़िल को उठते रहेंगे
इश्क़ इक प्यारी सी रहमत ख़ुदा की
ये संग हो तो हम आगे बढ़ते रहेंगे
बता दे हमें ज़ुल्म कब तक युं निर्मल
मुहब्बत के दीवाने सहते रहेंगे
Tuesday, December 15, 2009
रहमत ख़ुदा की
ये रहमत ख़ुदा की अगर कम हो जाये
तो समझो ये दुनिया जहन्नम हो जाये
वो चाहे तो हर आग शबनम हो जाये
वे चाहे तो हर रात पूनम हो जाये
रोशन हैं फ़कत सब तन्वीरे ख़ुदा से
वो ना हो तो सब कुछ दर्दे ग़म हो जाये
नज़र उसकी पड़ती हो जब जिसपे सीधी
तो हर ग़म ख़ुशी का तरन्न्म हो जाये
ये पैकर हमारा इनायत उसी की
मुहब्ब्त से उसकी हमीं हम हो जाये
ज़माना ये चलता है चालें अजब सी
मगर जब वो बोले तो सब नम हो जाये
जो उसका नहीं है वो उसका भी दोस्त
जो उसका है उसका वो हमदम हो जाये
तड़पता है निर्मल भी हरदम उसी को
वो फ़ुरकत में उसकी न बेदम हो जाये
तो समझो ये दुनिया जहन्नम हो जाये
वो चाहे तो हर आग शबनम हो जाये
वे चाहे तो हर रात पूनम हो जाये
रोशन हैं फ़कत सब तन्वीरे ख़ुदा से
वो ना हो तो सब कुछ दर्दे ग़म हो जाये
नज़र उसकी पड़ती हो जब जिसपे सीधी
तो हर ग़म ख़ुशी का तरन्न्म हो जाये
ये पैकर हमारा इनायत उसी की
मुहब्ब्त से उसकी हमीं हम हो जाये
ज़माना ये चलता है चालें अजब सी
मगर जब वो बोले तो सब नम हो जाये
जो उसका नहीं है वो उसका भी दोस्त
जो उसका है उसका वो हमदम हो जाये
तड़पता है निर्मल भी हरदम उसी को
वो फ़ुरकत में उसकी न बेदम हो जाये
Tuesday, December 8, 2009
नया साल
नया साल आने से अब ना टला है
पुराना तो लगभग विदा हो चला है
दिये इसने ग़म चाहे ख़ुशियाँ हों बांटी
न सोचो ये अब हमको क्या-क्या मिला है
जो आने को है उसकी महफ़िल सजायें
जो जाने लगा उससे न कोई गिला है
ये दुनिया करे जो मुहब्बत मुहब्बत
तो फिर समझो नफ़रत न कोई बला है
मिलें हाथ सबके जो आपस में हरदम
इनायत में उसकी नया रंग घुला है
दुआ है यही अब न झगड़ें कभी हम
किया जिसने ऐसा वो फूला फला है
नया दौर सबका अमन से लदा हो
तो अपना भी निर्मल भला ही भला है
पुराना तो लगभग विदा हो चला है
दिये इसने ग़म चाहे ख़ुशियाँ हों बांटी
न सोचो ये अब हमको क्या-क्या मिला है
जो आने को है उसकी महफ़िल सजायें
जो जाने लगा उससे न कोई गिला है
ये दुनिया करे जो मुहब्बत मुहब्बत
तो फिर समझो नफ़रत न कोई बला है
मिलें हाथ सबके जो आपस में हरदम
इनायत में उसकी नया रंग घुला है
दुआ है यही अब न झगड़ें कभी हम
किया जिसने ऐसा वो फूला फला है
नया दौर सबका अमन से लदा हो
तो अपना भी निर्मल भला ही भला है
Saturday, December 5, 2009
कोहरा
आओ
कि हम
मन से कोहरा
हटायें,
छाया
अंधेरा जो
उसको
मिटायें,
हर बात में
कुछ
नयापन तो
ढूँढें,
हर आँख में
कुछ
अलग सा तो
देखें,
शिखा
प्रेम की युं
हम निरन्तर
जगायें,
सपने हों नये
और
पक्के इरादे,
रिश्तों की
हों न कभी
कच्ची बुनियादें,
ले हाथों में
हाथ
ज़ंजीर इक
बनायें,
माना कि मन पे
होते
कुठाराघात,
लगाते हैं
जब सब
घातों पे घात,
ज़रा-ज़रा फिर
क्यों न
दिल को
सहलायें,
महकता रहे
ख़ुशबू से
सारा चमन,
धरती ही
नहीं केवल
महके
वो गगन,
फिर तो
ये दुनिया
जन्नत ही
बन जाये
आओ
कि हम
मन से कोहरा
हटायें,
छाया
अंधेरा जो
उसको
मिटायें...
कि हम
मन से कोहरा
हटायें,
छाया
अंधेरा जो
उसको
मिटायें,
हर बात में
कुछ
नयापन तो
ढूँढें,
हर आँख में
कुछ
अलग सा तो
देखें,
शिखा
प्रेम की युं
हम निरन्तर
जगायें,
सपने हों नये
और
पक्के इरादे,
रिश्तों की
हों न कभी
कच्ची बुनियादें,
ले हाथों में
हाथ
ज़ंजीर इक
बनायें,
माना कि मन पे
होते
कुठाराघात,
लगाते हैं
जब सब
घातों पे घात,
ज़रा-ज़रा फिर
क्यों न
दिल को
सहलायें,
महकता रहे
ख़ुशबू से
सारा चमन,
धरती ही
नहीं केवल
महके
वो गगन,
फिर तो
ये दुनिया
जन्नत ही
बन जाये
आओ
कि हम
मन से कोहरा
हटायें,
छाया
अंधेरा जो
उसको
मिटायें...
Thursday, December 3, 2009
मेरे हिस्से का आस्मान
इस
ब्रहमाण्ड का
हर जीव
हिस्सेदार है,
क़ायनात के
पूर्ण फैलाव का
हर कोई
हक़दार है,
हाथ की रेखायें
चाहे कुछ भी
कहती हों,
क़दमों तले
ज़मीन
चाहे खिसकती
या फिसलती हो,
वक़्त का तकाज़ा है
कि मुझको
मेरे हिस्से का
आस्मान चाहिये,
फूलों खिला हो
या काँटों भरा
मुझको बस
अपना
ग़ुलिस्तान चाहिये...
ब्रहमाण्ड का
हर जीव
हिस्सेदार है,
क़ायनात के
पूर्ण फैलाव का
हर कोई
हक़दार है,
हाथ की रेखायें
चाहे कुछ भी
कहती हों,
क़दमों तले
ज़मीन
चाहे खिसकती
या फिसलती हो,
वक़्त का तकाज़ा है
कि मुझको
मेरे हिस्से का
आस्मान चाहिये,
फूलों खिला हो
या काँटों भरा
मुझको बस
अपना
ग़ुलिस्तान चाहिये...
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