माथे पे खुदी होती हाथों पे लिखी होती
तक़दीर कहाँ आख़िर इन्सां की छुपी होती
किस देश में मिलती है जो चीज़ मुक़द्दर है
हैं कौन से मयखाने जिनमें है ख़ुशी होती
रोशन हैं कहाँ होते क़िस्मत के सितारे ये
है दिल की जो दुनिया किस जन्नत में बसी होती
किस ओर निकलता है ख़ुर्शीद करिश्मों का
ख़ैरात वो रहमत की किन हाथ बंटी होती
कर लेते यकीं हम भी रत्नों की दुकानों पर
ख़्वाबों को हमारे गर ताबीर मिली होती
अपना ही किया पाते अपना ही किया खोते
कोई बात नहीं निर्मल इनमें है सही होती
Saturday, December 18, 2010
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