किसी
दरवाज़े से
किसी
खिड़की से
किसी
झरोखे से,
बख़्श दे
वो रोशनी
जो
मेरे मन को
नूर-नूर
कर दे,
ज़िन्दगी में
जो मेरी
नया
दस्तूर भर दे,
कि न रहे
फिर कमी कोई
हर सांस मेरी
तू अगर
इस क़दर
मख्मूर कर दे,
Wednesday, April 27, 2011
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