नशे में जो सच बोल जाता शराबी
मगर राज़ सब खोल जाता शराबी
इसे चाहे माने न माने ये सच है
कि महफ़िल में रंग घोल जाता शराबी
ये बातें जो रातों की पूछें सुबह तो
सुबह बातें कर गोल जाता शराबी
मिले ज़िन्दगी में जो ग़म के ख़ज़ाने
उन्हें याद कर डोल जाता शराबी
अच्छाई बुराई ज़माने के क़िस्से
ज़ुबां से वो सब तोल जाता शराबी
अगर मयकशी की ये ख़ूबी न होती
तो युं बिक न बेमोल जाता शराबी
Saturday, March 13, 2010
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