या तो तुम मेरे पास आया करो
या फिर पास अपने बुलाया करो
ये दूरी नहीं अब सही जाये है
इसे तुम कभी तो मिटाया करो
अगर दे दिया है ये दिल तुझको तो
हमें युं न हरदम सताया करो
ख़ुदा है बनाता फ़लक पे रिश्ते
इन्हें मत घटाया बढ़ाया करो
बनाया है तुझको हमारे लिये
हमारी कही मान जाया करो
ख़ुदा की है मर्ज़ी हमारा मिलन
मिलन के लिये आया-जाया करो
अगर चाहो साबित हो ही जायेगा
कभी दिले दिलवर जो आया करो
सफ़र ज़िन्दगी का न तन्हा कटे
मेरे हमसफ़र बन भी जाया करो
ज़रूरत मुहब्बत की किसको नहीं
मुहब्बत मिले, सर झुकाया करो
निकल ये न जाये समय हाथ से
न मौक़े मिलन के गंवाया करो
वो निर्मल तो बिल्कुल है पागल निरा
युं बातों में उसकी न आया करो
Thursday, March 4, 2010
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ख़ुदा है बनाता फ़लक पे रिश्ते
ReplyDeleteइन्हें मत घटाया बढ़ाया करो
बहुत खूब, वाह!