दुनिया है ये फ़ानी तो क्या
ग़म की एक कहानी तो क्या
मंज़िल फिर भी पा ही लेंगे
आज अगर परेशानी तो क्या
वक़्त को क़ाबू भी कर लेंगे
करता वो मनमानी तो क्या
होंठ न छोड़ें हँसना गाना
आँखों में है पानी, तो क्या
मरना जीना रुक न पाता
करते आना कानी तो क्या
लम्हा लम्हा सहमा सहमा
छाई है वीरानी, तो क्या
महकेगा अपना भी गुलशन
पतझड़ है तूफ़ानी तो क्या
बातें उसकी अच्छी होतीं
हैं थोड़ी दीवानी तो क्या
इश्क़ ने किसको बख़्शा निर्मल
तुझ पर नज़रें तानी तो क्या
Sunday, November 15, 2009
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निर्मल जी,
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गज़ल है ..एक-एक शेर चुना हुआ है। हर शेर तारीफे़काबिल है।-
वाह-वाह