Friday, December 23, 2011

शक्तियों शक्ति दो

दिक्कतों से जूझता
तम है गहरा
कुछ न सूझता,
विश्व रंगहीन हो गया
कौन अब
किसी को पूछता,
इस कठिन काल में
कोई एक युक्ति दो
शक्तियों शक्ति दो
शक्ति दो,

विश्वास चरमरा रहा
हौसला भी डगमगा रहा,
बस रहा था मन में जो
दूर हमसे क्यों वो जा रहा,
हृदय से भावनायें मेट कर
मुक्ति दो
शक्तियों शक्ति दो
शक्ति दो

हर तरफ़
नियम का ही जाल है
ज़िन्दगी सवाल पर
सवाल है,
यदि प्रेम से जीये चलो तो
बस कमाल ही
कमाल है,
प्रेम ही रचा हो जिसमें
ऎसी एक पंक्ति दो
शक्तियों शक्ति दो
शक्ति दो...

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