पता नहीं
ये सज़ा है
या मज़ा है,
कज़ा है
या रज़ा है,
पता है तो
केवल,
बिन इसके
सब बदमज़ा है,
ख़ता है, गिला है
कि सिला है,
न जाने
ये इश्क़ क्या
बला है,
जाने तो बस
फ़स्ले ग़म है
चश्मे नम है
और दर्दे ज़ख़्म है,
मगर
शम्मे नूरानी है
हुक़्मे सुल्तानी है,
सदाये आस्मानी है
जरिया भले जिस्मानी है,
इसलिये
जिनकी क़िस्मत है
उनकी अज़मत है
उनकी जन्नत है,
उनकी आदत उनकी इबादत
उनकी मुहब्बत है
उनकी मुहब्बत है
Sunday, April 4, 2010
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PADTE HUWE HASI AAI
ReplyDeleteMAN KHUS HUWA
KUCH SOCHANE KO MAJBUR HUWA
OR KUCH
CHAHA KI AAP KO BADHAI DI JAYE
SHKEHAR KUMAWAT
http://kavyawani.blogspot.com/