Tuesday, May 15, 2012
Sunday, May 13, 2012
Happy mother's day
Friday, May 4, 2012
इश्क़-मुहब्बत ख़रा है पेशा
नई जगह है नया ठिकाना,
बना ही दे तू कोई फ़साना,
तेरी ही दुनिया तेरा ज़माना,
नहीं चलेगा कोई बहाना,
नया मुसाफ़िर नई हैं राहें,
नहीं कभी तू उसे गिराना,
बहुत सहे हैं ग़मों के रेले,
ग़मों से अब तू उसे बचाना,
भटक रहा है बहुत दिनों से,
नहीं अंधेरे लगे निशाना,
जिधर भी देखो सुरों के दरिया,
दे उसको भी इक नया तराना,
किसे वो चाहे किसे वो छोड़े,
न कोई अपना न ही बेगाना,
क़दम-क़दम वो यूं ही चलेगा,
गिरे कभी तो उसे उठाना,
इश्क़-मुहब्बत ख़रा है पेशा,
बिना लिये कुछ, करे दीवाना,
निर्मल भी कुछ उसी के जैसा,
उसे भी तूने होश में लाना,
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